अधिवक्ता रंजीत कुमार का आरोप..पौरा से मौरा नहर के पुनर्स्थापना करवाने का मंत्री अशोक चौधरी सहित अन्य नेता रच रहे ढोंग..इस वर्ष भी बरबीघा नहीं पहुंचा एक बूंद पानी

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Barbigha:-पिछले कई दशकों से नवादा लोकसभा क्षेत्र के बरबीघा विधानसभा में राजनीति का केंद्र बिंदु रहा पौरा से चलकर बरबीघा तक आने वाली नहर का मंत्री अशोक चौधरी के प्रयास पर पुनर्स्थापना होने की बात को नहर बचाओ अभियान समिति के अध्यक्ष सह अधिवक्ता रंजीत कुमार ने सिरे से खारिज किया है. उन्होंने कहा कि करीब तीन दशकों तक मंत्री अशोक चौधरी और उनके पिता महावीर चौधरी ने बरबीघा का प्रतिनिधित्व किया लेकिन आज तक नहर का पूर्ण रूप से जिर्णोउद्धार नहीं करवा पाए.

उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले लगभग 93 लाख की लागत से नहर की पुनर्स्थापना संबंधी खबर अखबारों में देखकर उन्हें काफी ताज्जुब हुआ.ऐसी खबर सिर्फ बरबीघा की जनता को मूर्ख बनाने के लिए है.इतना पैसा में नहर का पुनर्स्थापना हो ही नहीं सकता है.इससे अच्छा होता मंत्री जी नहर को अतिक्रमण मुक्त करवाने का पहल करते तो आधी समस्या स्वयं खत्म हो जाती.नहर के पुनर्स्थापना का प्रयास की बाते केवल बरबीघा में फिर से राजनीतिक जमीन तलाशने को लेकर की जा रही है.तीन दशकों तक बरबीघा पर राज करने वाले ऐसे नेताओं को इस तरह की ओछी राजनीति करने से बचना चाहिए.



यही नही उन्होंने कहा कि मंत्री के साथ-साथ बरबीघा और अस्थावां के विधायक सुदर्शन कुमार और जितेंद्र कुमार नवादा तथा नालंदा के सांसद चंदन सिंह और कौशलेंद्र कुमार ने भी नहर को अतिक्रमण मुक्त कर ढलाई करवाने की दिशा में आज तक ठोस पहल नहीं किया है.इन नेताओं को चुनाव के बक्त ही नहर की याद आती है. यह लोग बरबीघा की जनता को मूर्ख समझ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि मंत्री अशोक चौधरी नहर के पुनर्स्थापना के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति की बजाय अगर प्रशासनिक स्वीकृति दिलवाते तो ज्यादा बेहतर होता.लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही फिर से मंत्री जी के साथ-साथ सांसद आदि भी नहर के जिर्णोउद्धार को लेकर अलग-अलग राजनीतिक राग अलाप रहे हैं. सच बात यह है कि इन लोगों को किसानो की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है.हर बार क्षेत्र के किसानों को ये लोग मुर्ख बनाकर सत्ता हासिल कर लेते हैं. बताते चले कि नवादा जिला के पौरा से मौरा तक सकरी सिंचाई प्रणाली के तहत बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ श्री कृष्ण सिंह ने नहर का निर्माण करवाया था.

इस नहर से मिरजैंन, बरहगैंन ,तेउसाइन सहित कई छोटे-छोटे नहर बरबीघा और शेखोपुर सराय प्रखंड के साथ-साथ नालंदा जिला के अस्थवां प्रखंड के कुछ गांव तक भी पहुंचती थी.इससे हज़ारो किसानों के लाखों हेक्टेयर जमीन का सिचाई होती है. लेकिन जगह-जगह मुख्य नहर में अतिक्रमण कर लिए जाने की वजह से क्षेत्र के लाखों किसान प्रभावित हो रहे हैं. सकरी नदी में पानी आने के बावजूद क्षेत्र के किसानों को पानी नहीं मिल पाता है.

नहर की दयनीय स्थिति

अधिवक्ता रंजीत कुमार इस नहर के पूर्ण रूप से जिर्णोउद्धार को लेकर पिछले कई वर्षों से लड़ाई लड़ रहे हैं. रंजीत कुमार द्वारा किसानों के हित मे विभाग का चक्कर लगाने के साथ-साथ कई बार जनप्रतिनिधियों को पत्राचार के माध्यम से आवाज उठाने का आग्रह किया गया है. लेकिन ये लोग कभी भी मजबूती से इस बात को विधानसभा या लोकसभा में नहीं उठा पाते हैं.हालांकि उच्च अधिकारी द्वारा ठोस आश्वासन मिलता रहता है.

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