बरबीघा के नारायणपुर मौजा में रेललाइन निर्माण कार्य हुआ शुरू..विरोध में किसानों ने महिलाओं और बच्चों के साथ शुरू किया अनिश्चितकालीन धरना..मामला जमीन अधिग्रहण के बाद मुआवजे का

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Barbigha:-शेखपुरा से बरबीघा दनियावां होते हुए पटना के नेउरा तक बनने वाली रेल लाइन का बरबीघा नगर क्षेत्र के नारायणपुर मौजा में निर्माण कार्य शनिवार से शुरू हो गया. किसानों के विरोध को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है.

स्थानीय स्तर पर प्रखंड के अंचलाधिकारी भुनेश्वर यादव से लेकर अनुमंडल अधिकारी सतीश रंजन डीएसपी अरविंद कुमार सिंह सहित कई बड़े पदाधिकारी पुलिस बल के साथ कार्य स्थल पर दिनभर मौजूद रहे.रेल लाइन निर्माण में मिट्टी भराई से पहले लाइनिंग का कार्य शुरू हो गया है.इधर किसानों के मना के बावजूद जिला प्रशासन द्वारा रेललाइन निर्माण कार्य के शुरू करने के विरोध में दर्जनों महिला और पुरुष किसान बीच खेत में दरी बिछाकर अनिश्चित कालीन धरना पर बैठ गए हैं.



किसानों के अनिश्चितकालीन धरना की अगुवाई न्यायिक जन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह आंदोलनकारी नेता कन्हैया कुमार बादल कर रहे है. कन्हैया कुमार बादल ने कहा कि बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ श्री कृष्ण सिंह की धरती पर किसानों की ऐसी हालत चिंताजनक है.किसानों का दर्द और परेशानी देखकर ऐसा महसूस हो रहा है कि रेलवे द्वारा लोकतांत्रिक नहीं बल्कि राजतंत्रिक तरीके से जमीन लेने का कार्य किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि इस तानाशाही रवैया के खिलाफ अब आर पार की लड़ाई लड़ी जाएगी. वही किसान राजेश कुमार उर्फ भोला, शिवदानी प्रसाद,दीपक चौधरी, रंजीत कुमार, शंकर प्रसाद सहित अन्य जिलाधिकारी पर आरोप लगाया कि भी अपनी ही वादों से मुकर गई हैं.रेलवे द्वारा अधिग्रहित भूमि का सीमांकन करने के समय डीएम ने आश्वासन दिया था कि सभी किसानों का भुगतान किये बगैर मिट्टी भराई का कार्य नहीं होगा.

लेकिन डीएम अपनी बातों से मुकर गई और जबरन कार्य लगा दिया गया है. किसानों ने कहा कि अब सरकार और जिला प्रशासन को हमारी जमीन लेने से पहले हमारी जान लेनी होगी.जब तक न्याय नहीं मिलेगा हम लोग अपने बच्चों सहित इसी तरह अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे रहेंगे.

मिट्टी भराई का कार्य करती रेलवे

बताते चले कि दरअसल निर्माणाधीन रेल लाइन को लेकर नारायणपुर मौजा में 288 किसानों का रेलवे द्वारा लगभग 44 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया गया है. किसानों ने आरोप लगाया कि भू-अर्जन द्वारा अधिग्रहित भूमि को पूर्व में कृषि भूमि बताकर मुआवजा तय किया गया था.इस निर्णय के खिलाफ किसानों ने वर्ष 2013 में हाईकोर्ट में याचिका दायर किया था.वर्ष 2019 में हाईकोर्ट ने किसानों के हक में फैसला देते हुए जिला प्रशासन को 01 जनवरी 2014 के अधिसूचना के अनुसार जमीन का मुआवजा तय करने का निर्देश दिया था. लेकिन जिला प्रशासन द्वारा इस बात को अनदेखा कर दिया गया.पुनः किसानों ने हाई कोर्ट में अवमानना बाद दायर किया.

धरना पर बैठे हुए किसान

लेकिन जमीन के मामले को विशेष सुनवाई हेतु मुंगेर के लारा कोर्ट में हस्तांतरित कर दिया गया.किसानो ने कहा की लारा कोर्ट में सुनवाई पूरी होने से पहले ही रेलवे जोर जबरदस्ती कर किसानों से जमीन हड़पने का प्रयास कर रही है. किसानों ने कहा कि हम लोगों को जमीन देने में किसी प्रकार का कोई दिक्कत नहीं है.लेकिन कोर्ट द्वारा निर्धारित किए गए उचित मुआवजा मिलने के बाद ही हम लोग रेल लाइन निर्माण का कार्य होने देंगे.

दूसरी तरफ अनुमंडल अधिकारी सतीश रंजन का कहना है कि हम लोग प्रशासनिक आदेश पर रेल लाइन निर्माण कार्य कर रहे हैं. कोर्ट का फैसला आने के बाद किसानों को उनका उचित मुआवजा का भुगतान जल से जल्द कर दिया जाएगा. चुकी रेल लाइन निर्माण कार्य वर्षों से अधूरा पड़ा हुआ है. किसानों के साथ कई बार बैठक करके मामले को सुलझाने का प्रयास किया गया लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. रेल लाइन निर्माण समय पर पूरा करवाना भी जिला प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है. किसानों के साथ जिला प्रशासन की पूरी संवेदनाएं हैं.

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