लारा कोर्ट में लंबी लड़ाई के बाद किसानों की हुई जीत..आवासीय और व्यावसायिक भूमि में वर्गीकृत कर मुआवजा देने का हुआ फैसला

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Barbigha:-रेलवे द्वारा बरबीघा के नारायणपुर मौजा में अधिकृत किये गए जमीन के बदले उचित मुआवजे की मांग को लेकर पिछले एक दशक से अधिक समय से चली आ रही लंबी लड़ाई में आखिरकार किसाने की जीत हुई है.मुंगेर के लारा कोर्ट में चल रही विशेष सुनवाई में बुधवार को किसानों के हक में फैसला आने के बाद किसान खुशी से झूम उठे.जहां जिला प्रशासन द्वारा अधिकृत जमीन को कृषि भूमि में तय किया था वही जिला प्रशासन के फैसले पर रोक लगाते हुए सभी भूमि को आवासीय और व्यावसायिक दो कैटेगरी में बांटकर लारा कोर्ट ने किसानों को मुआवजा देने का फैसला सुनाया है.

खुशी व्यक्त करते हुए किसान रंजीत कुमार, भोला प्रसाद इत्यादि ने बताया कि बरबीघा थाना चौक से गंगटी मोड़ तक व्यावसायिक भूमि को 1.50 लाख प्रति डिसमिल तथा डाक बंगला से गोपालबाद रोड में स्थित व्यावसायिक भूमि को 1.80 लाख प्रति डिसमिल देने का फैसला दिया गया.वही शेष भूमि को आवासीय भूमि में वर्गीकृत करते हुए कुछ भूमि को 99500 प्रति डिसमिल जबकि कुछ को 1.30 लाख प्रति डिसमिल के हिसाब से किसानों को भुगतान करने के लिए रेलवे को आदेशित किया गया है. किसानों ने बताया कि लाल कोर्ट द्वारा दिया गया फैसला किसानों के हक में है.



हक को लेकर एक दशक से भी अधिक चली लड़ाई

बताते चले कि शेखपुरा से बरबीघा होते हुए बिहार शरीफ,दनियावां के रास्ते पटना के नेउरा तक बनने वाले रेलवे लाइन के लिए बरबीघा में 288 किसानों का लगभग 44 एकड़ भूमि अधिग्रहित किया गया था. जिला प्रशासन द्वारा पहले इस भूमि को कृषि योग्यता कर बेहद ही कम मुआवजा दिया जा रहा था. जिला प्रशासन के विरोध में किस हाईकोर्ट चले गए थे.हाई कोर्ट ने 1 जनवरी 2014 के अनुसार अधिकतम मूल्य का भुगतान देने का आदेश दिया था. हाई कोर्ट के फैसले के बावजूद किसानों को जांच के नाम पर वर्षों तक परेशान किया जाता रहा. इसके बाद जब पुनः किसान हाईकोर्ट गए तब विशेष सुनवाई के लिए लड़ा कोर्ट में मामला ट्रांसफर कर दिया गया. आखिरकार एक दशक से अधिक समय से किसानों द्वारा लड़ी जा रही लड़ाई का सुखद अंत हुआ.

पिछले 41 दिन से किस दे रहे थे धरना

सुनवाई के दौरान मुंगेर के लारा कोर्ट में भी जिला प्रशासन द्वारा कथित तौर पर जमकर दांव पेच खेला गया. कागजों में उलझा कर मामले को काफी लंबा खींच लिया गया. कोर्ट में फैसला आने से पहले ही केंद्र के दबाव के बाद वर्तमान डीएम जे. प्रियदर्शनी ने बीते 23 दिसंबर से पुलिस बल की तैनाती कर रेलवे लाइन पर मिटटी भराई का कार्य शुरू करवा दिया.तब से किसान लगातार पिछले 41 दिनों से अनिश्चितकालीन धरना खेतों में बैठकर ही दे रहे थे. इस दौरान ठंड लगने की वजह से दो किसान गीता देवी और रवि सिंह की मौत भी हो चुकी थी. आखिरकार किसानों का आंदोलन रंग लाया और जमीन को व्यावसायिक और आवासीय भूमि मानते हुए लारा कोर्ट में फैसला दिया गया.

किसानों को मिला क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का भरपूर समर्थन

बताते चले कि अनिश्चित कालीन धरना दे रहे किसानों को पहले अकेले लड़ना पड़ा. जैसे-जैसे आंदोलन आगे बढ़ता गया वैसे-वैसे जनप्रतिनिधि और समाजसेवी भी किसानों की भावनाओं के साथ जुड़ते चले गए थे. इस आंदोलन में क्रांतिकारी नेता कन्हैया कुमार बादल, जदयू नेता तथा समाजसेवी संतोष कुमार शंकु, बरबीघा विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी तथा लोजपा नेता मधुकर कुमार, आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष धर्मउदय कुमार, राकेश रंजन, चंद्रभूषण कुशवाहा सहित अन्य लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वहीं कागजी कार्रवाई पूर्ण करने में क्षेत्रीय विधायक सुदर्शन कुमार का काफी सराहनीय योगदान रहा था. रही सही कसर क्षेत्र के सांसद चंदन सिंह ने पूरा किया. कुछ दिन पहले जिला में आयोजित दिशा की बैठक में उन्होंने पदाधिकारी को फटकार लगाते हुए किसानों को जल्द से जल्द पूरा मदद करने का आदेश दिया था. किसानों ने आंदोलन में सहयोग देने वाले सभी लोगों का दिल से आभार व्यक्त किया है

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