Barbigha:-अठारह वर्ष की उम्र तक सभी बच्चों को अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा नीति अपनाकर वर्ष 2030 तक देश से बाल विवाह के खात्मे में निर्णायक भूमिका निभाई जा सकती है.18 वर्ष से पहले पढ़ाई छोड़ने और बाल विवाह में एक सीधा और स्पष्ट अंतरसंबंध है. देश में बाल विवाह के खिलाफ जारी लड़ाई में परिवर्तनकारी साबित हो सकने वाला यह अहम निष्कर्ष देश में 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लिए अभियान चला रहे 160 गैरसरकारी संगठनों के
गठबंधन बाल विवाह मुक्त भारत अभियान द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जारी एक शोधपत्र “एक्सप्लोरिंग लिंकेजेज एंड रोल्स ऑफ एजुकेशन इन एलिवेटिंग एट मैरेज फॉर गर्ल्स इन इंडिया” में उजागर हुआ है.उक्त बातें एनिमल एंड ह्यूमन डेवलपमेंट सोशल वेलफेयर सोसाइटी के सचिव डॉक्टर विनोद कुमार ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मीडिया कर्मियों को बताई.उन्होंने बताया कि शोधपत्र के अनुसार भारत देश बाल विवाह उन्मूलन को लेकर निर्णायक मोड़ पर खड़ा है.
निर्णायक मोड़ वह बिंदु होता है जहां से छोटे बदलावों और घटनाओं की श्रृंखला इतनी बड़ी हो जाती है जो एक बड़ा और आमूल परिवर्तन कर सकें. ऐसे में यदि 18 वर्ष की उम्र तक मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा एक वास्तविकता बन जाए तो बाल विवाह के अपराध को जड़मूल से समाप्त करने की इस लड़ाई को एक नई धार और दिशा मिल जाएगी.