Desk:-बिहार के जहानाबाद जिले की एक विशेष अदालत ने जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार को जून 2015 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी करने को लेकर तीन साल की सजा सुनाई थी.विशेष एमपी कोर्ट के न्यायधीश राकेश कुमार रजक ने पूर्व रालोसपा सांसद अरुण कुमार पर 5000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
हालांकि कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट में अपील करने के लिए जमानत पर रिहा कर दिया था. इसी मामले में अदालत ने मधेपुरा के पूर्व लोकसभा सांसद पप्पू यादव को सबूतों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया था. अरुण ने बाढ़ और मोकामा इलाकों में भूमिहारों को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए कहा था, ‘‘हमने चूड़ियां नहीं पहनी हैं और हमारे सम्मान को ठेस पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री का सीना तोड़ देंगे।’’ यह मामला जदयू नेता चंद्रिका प्रसाद यादव ने दर्ज कराया था.
एसीजेएम कोर्ट ने डॉ अरुण कुमार को आईपीसी की धारा 353 ए और 505 के तहत दोषी पाया और उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी. सांसद डॉ अरुण कुमार ने कहा था, “नीतीश कुमार अनंत सिंह जैसे दर्जनों लोगों का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करते हैं और फिर अपना काम निकल जाने के बाद उन्हें उन जैसे लोगों की जरूरत नहीं होती। नीतीश कुमार को समझ लेना चाहिए कि ये कौम चूड़ियां पहनकर नहीं बैठी। यह नीतीश कुमार की छाती भी तोड़ सकती है.
भले ही अरुण कुमार द्वारा दिया गया यह व्यान लगभग 9 साल पहले आया था. लेकिन वर्तमान में नवादा लोकसभा सीट पर उनके नाम को लेकर हो रही दावेदारी के बीच यह मुद्दा एक बार फिर से गर्म हो गया है.नीतीश कुमार एक बार फिर से मोदी सरकार के साथ खड़े हैं. नीतीश कुमार और अरुण बाबू के बीच का तकरार बिहार की सियासत में किसी से छुपा हुआ नहीं है.
ऐसे ही मैं चर्चा शुरू हो गई क्या नीतीश कुमार छाती तोड़ने की बात भूल नवादा लोकसभा में अरुण बाबू का साथ दे पाएंगे. राजनीतिक पंडितों के अनुसार अरुण बाबू को नवादा लोकसभा से टिकट देने के बाद अगर जदयू कार्यकर्ताओं के नाराजगी पटल पर आ गई तो एनडीए को हार का सामना भी करना पड़ सकता है. दूसरी तरफ अपने स्टैंड पर कायम नहीं रहने के कारण अरुण बाबू को लेकर भूमिहार के एक बड़े वर्ग में भी नाराजगी की देखी जा रही है. बहरहाल इस बार नवादा लोकसभा का चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है.