भूमिहार नेता आशुतोष कुमार को नवादा लोकसभा सीट भूमिहार के हाथ से जाने का सता रहा डर..सीट बचाने के लिए मैदान में उतरने की हो रही चर्चा

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Desk:-नवादा लोकसभा को लेकर टिकट के दावेदारों के बीच काफी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है.पल-पल लोगों के समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं. राजनीतिक गलियारों से आ रही निकलकर नई खबर के मुताबिक नवादा लोकसभा में भूमिहार नेता आशुतोष कुमार की एंट्री भी होने वाली है. राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक नवादा लोकसभा में महागठबंधन से यादव उम्मीदवार के लगातार हार के बाद इस बार वहां गठबंधन किसी भूमिहार नेता पर दांव लगा सकती है.सुगबुगाहट के बीच आशुतोष कुमार ने महागठबंधन से संपर्क साधना भी शुरू कर दिया है.

चुनाव लड़ने संबंधी सवालों को लेकर आशुतोष कुमार कुमार के हरदम साथ रहने वाले और बेहद गरीबी माने जाने वाले एक नेता से हमारी बातचीत हुई. उन्होंने बताया कि आशुतोष कुमार को जहानाबाद की तरह नवादा लोकसभा सीट भी भूमिहार के हाथ से छीन जाने का डर सता रहा है.दरअसल एनडीए से जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण बाबू की प्रबल दावेदारी के बीच यह बात निकलकर सामने आ रही है.



नाम नहीं छापने के शर्त पर नेताजी ने बताया कि अरुण बाबू के अहंकार के कारण एनडीए ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भाव नहीं दिया था.इसके बाद वे निर्दलीय चुनाव लड़ गए थे. परिणाम आने के बाद अरुण बाबू को जितना वोट नोटा में पड़ा था उससे मात्र 5000 वोट अधिक आए थे.अब हालात यह गई है कि जहानाबाद पर जहां एक समय भूमिहारों का राज था अब वहां कोई भी पार्टी किसी भूमिहार को टिकट देना पसंद नहीं कर रही है.

अरुण कुमार ने जिस भूमिहारों को लेकर नीतीश कुमार की छाती तोड़ने की बात कही थी.आज उन्हीं के गठबंधन में जाकर फिर से चुनाव लड़ने का सपना देख रहे हैं.जहानाबाद में भूमिहारो द्वारा पूरी तरह से नकार दिए जाने के बाद ऐसी संभावना है की टिकट मिलने के बाद नवादा लोकसभा से अगर हार हो जाए तो भविष्य में यह सीट भी भूमिहारों के हाथ से छीन ली जाएगी.

नेताजी ने आगे बताया कि इसी स्थिति को देखते हुए आशुतोष कुमार ने खुद चुनाव लड़ने का फैसला किया है.अगर महागठबंधन आशुतोष को टिकट नहीं मिलने की दशा में राष्ट्रीय जन जन पार्टी महागठबंधन से किसी भी भूमिहार को टिकट मिलने पर उन्हें ही अपना समर्थन देगी.राजपा नवादा लोकसभा सीट भूमिहार के हाथ में रहे इसके लिए किसी भी दल से हाथ मिला सकती है. अब आशुतोष कुमार के करीबियों के विरोध के बाद देखना दिलचस्प होगा कि एनडीए अरुण बाबू पर दांव लगाती है या नहीं.

 

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