Desk:- बिहार में राजनीतिक परिवेश बहुत तेजी से बदल रहा है.झूठ विकास के दावे और जात-पात की राजनीति को भी अब धीरे-धीरे मुंहकी खानी पड़ रही है. इसका सबसे ताजा उदाहरण बिहार के रुपौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव परिणाम को माना जा रहा है. इस सीट पर एनडीए और महागठबंधन दोनों ही बड़ी पार्टियों के समीकरण धराशाई हो गए.बिहार के पूर्णिया जिले के रुपौली सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह चुनाव जीत दर्ज किया है.
रुपौली विधानसभा उपचुनाव के फाइनल राउंड यानी 12 वें राउंड की मतगणना के बाद निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह 8211 वोटों से चुनाव जीत गए. निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह को कुल मिलाकर 67779 वोट मिला. वहीं दूसरे नंबर पर जदयू प्रत्याशी कलाधर मंडल को 59568 वोट और तीसरे नंबर पर राजद प्रत्याशी बीमा भारती को मिला 30108 वोट प्राप्त हुए हैं.
बता दें कि यहां कुल 11 प्रत्याशी अपने-अपने भाग्य को आजमा रहे थे.चुनावी मुकाबले में तीन बाकी विधायक अपना-अपना किस्मत आजमा में रहे थे.यहां जदयू छोड़कर राजद में शामिल हुईं पूर्व विधायक बीमा भारती, लोजपा से पूर्व विधायक शंकर सिंह, निर्दलीय एवं राजद से जदयू में आए कलाधर मंडल मौजूद मुख्य रूप से आमने सामने थे. बता दें कि रुपौली विधानसभा में 10 जुलाई को चुनाव संपन्न हुआ था. इसका परिणाम शनिवार (13 जुलाई) को आया. यह सीट पहले यहां की पूर्व जदयू विधायक बीमा भारती के त्यागपत्र देने के कारण खाली हो गई थी.
पप्पू यादव के बाद शंकर सिंह ने सबको चौंकाया
रूपौली उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह ने अपने प्रदर्शन से सबको चौंकाया दिया है. कुछ महीना पहले सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में भी यहां यही हाल हुआ था जब निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव ने सबको दंग करके रख दिया था.दोनों चुनाव में एक समानता यह रही कि राजद की प्रत्याशी बीमा भारती दोनों ही चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार से पीछे चलती रहीं.
जानिए कौन हैं निर्दलीय विजेता शंकर सिंह?
शंकर सिंह ने वर्ष 2000 में राजनीति में एंट्री किया था. सबसे पहले शंकर सिंह ने वर्ष 2005 में लोजपा से टिकट हासिल करके पहली बार रूपौली का विधायक बनने का गौरव प्राप्त किया था. लेकिन उस समय सूबे में हुई सियासी उठापटक के कारण शंकर सिंह महज कुछ ही दिनों तक विधायक रह सके थे.वहीं 2010,2015 और 2020 के चुनाव में शंकर सिंह यहां हमेशा दूसरे नंबर पर रहे.उपचुनाव में जब एनडीए में सीट जदयू के पास गयी तो शंकर सिंह ने लोजपा (रामविलास) से इस्तीफा देकर निर्दलीय प्रत्याशी बनकर मैदान में कूद पड़े थे.