
Barbigha:-मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के सफल इलाज करके उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने हेतु बिहार शरीफ में एक उच्च स्तरीय पहल की शुरुआत की गई है. बिहार शरीफ के खंदकमोड पर *उम्मीद चाइल्ड डेवलपमेंट सेंटर* नामक अस्पताल का उद्घाटन किया गया. अस्पताल का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉक्टर मनोज कुमार के द्वारा फीता काट कर किया गया.इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर जदयू नेता संतोष कुमार शंकु, बिहार शरीफ के जाने-माने

सर्जन डॉक्टर मनीष नारायण, बच्चा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर श्याम बिहारी, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ममता रानी, डॉ राजीव कुमार, डॉक्टर स्नेहा, डॉ रितु कुमारी, डॉ आनंद कुमार, प्रमोद चंद्रवंशी सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे. इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ मनोज कुमार ने कहा कि समाज की कई ऐसे बच्चे जो मानसिक रूप से कमजोर होते हैं, जिनके अंदर सामाजिक चीजों की समझ नहीं होती, उन्हें मुख्य धारा से अलग रखा जाता है.


लेकिन विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि ऐसे बच्चों को भी विभिन्न थेरेपी के माध्यम से सामान्य स्थिति में लाया जा सकता है. निश्चित तौर पर यह सेंटर ऐसे बच्चों के लिए वरदान साबित होगा. वही बच्चा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर श्याम बिहारी ने सात या आठ माह में जन्म लेने वाले बच्चों के अंदर मानसिक विकृति की गुंजाइश ज्यादा होती है. ऐसे बच्चे सामान्य बच्चों की तरह जिंदगी नहीं जी पाते हैं. ऐसे बच्चों के माता-पिता भी ईश्वर का आशीर्वाद समझकर उनके लिए कुछ नहीं करते हैं. लेकिन अब वर्तमान समय में ऐसे बच्चों

के लिए भी विभिन्न माध्यमों से थेरेपी देकर उन्हें सामान्य बच्चों की तरह लाया जा सकता है, या कम से कम उन्हें समाज में जीने के लायक बनाया जा सकता है. बिहारशरीफ में इस तरह के बच्चों के लिए पहल करने हेतु उन्होंने डॉक्टर आनंद कुमार, डॉक्टर रितु कुमारी और डॉक्टर मनीष नारायण का सराहना भी किया.वही डॉक्टर आनंद कुमार ने बताया की बहुत ही कम खर्चे पर ऐसे बच्चों को अलग अलग थेरेपी के माध्यम से उनकी मानसिक विकृति को दूर कर उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने लायक बनाया जाएगा.
ऐसे बच्चों के माता-पिता विशेष जानकारी के लिए अस्पताल में आकर संपर्क कर सकते हैं.उन्होंने बताया कि मानसिक रूप से कमजोर बच्चों (Intellectually Disabled Children) का इलाज पूरी तरह से “इलाज” न होकर एक समग्र देखभाल और सहायता प्रणाली होती है, जिसका उद्देश्य उनके विकास, आत्मनिर्भरता और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाना होता है.इसके तहत उनके मानसिक स्तर के अनुसार विशेष पाठ्यक्रम तैयार किए जाते हैं.प्रशिक्षित विशेष शिक्षक उनकी सीखने की क्षमता के अनुसार शिक्षा देते हैं.
बच्चों के व्यवहार में सुधार लाने के लिए सकारात्मक तरीकों से प्रशिक्षण दिया जाता है.रोजमर्रा की गतिविधियों जैसे खाना खाना, कपड़े पहनना आदि सिखाई जाती हैं.यदि बच्चे को मिर्गी, ध्यान की कमी, या चिंता जैसी अन्य समस्याएं हैं, तो डॉक्टर दवाएं भी देते है.ऐसे बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ मिलाने के प्रयास किए जाते हैं ताकि उनमें आत्मविश्वास बढ़े.