Sheikhpura: शराबबंदी के मामले में छापामारी करने गई पुलिस द्वारा कथित ज्यादती के खिलाफ न्यायालय ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. छापामारी के दौरान ग्रामीणों के साथ अभद्रता का व्यवहार करना पुलिस पदाधिकारी को महंगा पड़ गया. शराबबंदी के विशेष न्यायाधीश एडीजे द्वितीय राजीव कुमार ने ग्रामीणों की शिकायत पर ऐसे ही एक मामले में कोरमा थाना में तैनात पुलिस पदाधिकारी मधुवीर के खिलाफ संज्ञान लेते हुए न्यायालय में तलब किया है.
इस संबंध में प्राप्त जानकारी बताया गया कि अभियुक्त पुलिस प्राधिकारी मधुवीर 7 अगस्त 2021 को संध्या 6 बजे मुरारपुर गांव में शराब की सूचना पर छापामारी करने गए थे. छापामारी में शराब बरामद किए जाने के बाद अभियुक्तों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. लेकिन इस दौरान उन्होंने गांव के लोगों के साथ मारपीट गाली-गलौज घटना को भी अंजाम दिया.
इस मामले में मुरारपुर के ग्रामीण उदय राम ने एडीजे द्वितीय राजीव कुमार के समक्ष परिवाद पत्र दायर किया था. परिवाद पत्र के समर्थन में उन्होंने चार गवाहों को भी प्रस्तुत किया. इस संबंध में न्यायालय ने मधुवीर के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 323, 427 और 506 के तहत अपराध का संज्ञान लिया. परिवादी ने बताया कि मधुवीर 4 होमगार्ड और एक महिला पुलिस के साथ गांव में पहुंचे थे. उनके वाहन से सानो देवी के बकरी का पैर भी टूट गया. इसका विरोध करने पर उन्होंने लाठी-डंडे से ग्रामीणों की पिटाई की. वाहन मधुवीर द्वारा चलाने की बात सामने आई. इस मामले में उत्पाद अधिनियम संबंधी किसी मामले के नहीं रहने के कारण इसका न्यायिक विचारण करने के लिए मामले को न्यायिक दंडाधिकारी जितेंद्र कुमार के न्यायालय में भेज दिया है.