Sheikhpura: सेक्स वर्कर भी मानव हैं. संविधान में प्रतिपादित सभी मानवीय अधिकार का उपयोग करने का उन्हें भी अधिकार है. समाज और पुलिस द्वारा उन्हें अपराधी की तरह देखने और व्यवहार करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने की आवश्यकता है. पुलिस और प्रशासन द्वारा उनके भी मूलभूत अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व है. यह बात सेक्स वर्कर के अधिकार पर आयोजित कार्यशाला में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव एडीजे धर्मेंद्र झा ने कही है.
समाहरणालय के मंथन सभागार में इस विषय पर लेकर जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें डीएम सावन कुमार, डीडीसी अरुण कुमार झा सहित बड़ी संख्या में आंगनबाड़ी सेविका, आशा दीदी, जीविका दीदी आदि उपस्थित थे. कार्यशाला में बताया गया कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इसी साल 19 मई को बुद्धदेव कर्मस्कार बनाम पश्चिम बंगाल सरकार मामले में सुनवाई करते हुए सेक्स वर्करों को भी आम मानव के तहत सभी प्रकार के अधिकार प्रदान करने का निर्देश सरकारों के कल्याणकारी एजेंसियों को दिया है. इसी के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा इस विषय पर कार्यशाला आयोजित कर उनके अधिकारों की रक्षा करने को लेकर सभी एजेंसियों को संवेदनशील बनाने का प्रयास किया जा रहा है. बताया गया कि आपसी सहमति के आधार पर सेक्स को अपराध नहीं माना गया है. इसलिए ऐसे मामलों में सेक्स वर्करों को प्रताड़ित नहीं करने, गिरफ्तार नहीं करने आदि का स्पष्ट निर्देश जारी किया गया है.
सेक्स वर्करों को भी आम महिलाओं की तरह यौन शोषण के मामलों में सभी प्रकार के चिकित्सीय, सरकारी प्रतिकर और कानूनी मदद पहुंचाने के बारे में कार्यशाला में जानकारी दी गई. जिलाधिकारी ने कार्यशाला में मौजूद ग्रास रूट की महिला कार्यकर्ताओं को इस कार्य में आगे आकर प्रशासन और पुलिस की मदद करने की अपील की. इन महिलाओं को समाज में फैली कुरीतियों के बारे में भी जागरूकता पैदा करने की अपील की गई. शराबबंदी, दहेज प्रथा निषेध, बाल विवाह कुप्रथा आदि पर भी लोगों को जागरूक करने का संदेश दिया गया.