Sheikhpura: जिले का बरबीघा शहर एजुकेशन हब बनता जा रहा है. गली गली में लगातार स्कूल खुल रहे हैं. कुछ स्कूल बरबीघा में बहुत अच्छे हैं कुछ ऐसे भी हैं जिनकी मंशा एकदम साफ है कि किसी तरह से रूपया बनाना है. शहर में जितने भी स्कूल हैं उनमें से अधितकर स्कूल के बच्चों को लेकर जो वैन या बस जाती है उसका हाल बेहाल है. बच्चों को ठूस ठूसकर बिठाया जाता है इस कारण एक डर हमेशा बना रहता है कि कही कोई बड़ा हादसा ना हो जाय.
आज सुबह नारायणपुर पुल के पास लोगों की आंखे उस समय फटी की फटी रह गई जब एक बच्चों से भरी जीपीएस स्कूल की वैन पुल में गिरने वाली थी. वीडियो में साफ दिख रहा है कि गाड़ी का एक टायर सड़क छोड़ गया था और पुल के तरफ झुक गया था. हालांकि वहां पर बहुत सारे लोग मौजूद थे इस कारण जल्दी से कुछ लोग दौड़े और किसी तरह से बच्चों को गाड़ी से बाहर निकाला. विजुअल देखकर साफ लग रहा है कि गाड़ी में सीट से ज्यादा बच्चों को जानवर की तरह लोड कर लिया गया था. यहां पर वैसे लोड शब्द लिखना उचित तो नहीं है लेकिन स्कूल प्रबंधन बच्चों को बच्चों की तरह ट्रीट ना करके सामान की तरह ट्रीट करता है और सीट से ज्यादा बच्चों को गाड़ी में चढ़ा लेता है.
इस वीडियो को स्थानीय लोगों ने ही हमारे संस्थान के पत्रकार को सेंड किया था और कहा कि सर कुछ कीजिए जानवर की तरह बच्चों को गाड़ी में चढ़ाया जा रहा है. आज हमलोग थे तो बड़ा कांड होने से बच गया कहीं किसी दिन बड़ा कांड हो ना जाए इसलिए थोड़ा इस मुद्दे पर भी बात कीजिए. वहीं दूसरी तरफ स्कूल प्रबंधन से हमारे रिपोर्टर ने फोन कर बात की तो फोन उठाने वाले शख्स ने बिना किसी गंभीरता के इस मुद्दे को लिया और कहा कि हां ड्राइवर से बात हुई थी मामूली बात है. हालांकि बाद में दूबारा फोन किया गया तो उन्होंने कहा कि आप लोग बेवजह इस मामले को तूल दे रहे हैं. इसमें हमारी क्या गलती है गलती तो सरकार की है जो ऐसा रोड बनाया है. ओवरलोड को लेकर बात करने पर GPS स्कूल प्रबंधन ने चुप्पी साध ली. आपको बता दें कि इस तरह के मामलों में प्रशासन को भी संज्ञान लेना चाहिए. गार्जियन को भी स्कूल प्रबंधन से सवाल करना चाहिए की यदि हम ट्रैवलिंग के लिए बच्चों की पूरी फीस दे रहे हैं तो हमारे बच्चों को जानवरों की तरह क्यों सक्ल पहुंचाया जा रहा है.