स्कूल के पुनरुद्धार के लिए समाजसेवियों ने बढ़ाए हाथ, किसी जमाने में ₹5 प्रति महीने लेकर विद्यार्थियों को दी जाती थी शिक्षा

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Sheikhpura: बरबीघा नगर क्षेत्र के दिनकर नगर मोहल्ला में संचालित होने वाले श्रद्धानंद स्मारक मध्य विद्यालय के पुनरुद्धार की आस जाग गई है. समाजसेवियों ने चंदा इकट्ठा करके विद्यालय को फिर से पुनर्जीवित करके इसके गौरवशाली पल को लौट आने का मन बना लिया है. इसको लेकर विद्यालय के प्राचार्य नवल किशोर सिंह के साथ समाजसेवियों की एक बैठक भी विद्यालय परिषद में की गई. मौके पर ही इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक में खाता खोला गया. लोगों से विद्यालय के पुनरुद्धार के लिए चंदा देने के लिए सोशल मीडिया पर अपील भी की गई है. इस संबंध में विद्यालय के प्राचार्य ने बताया कि विद्यालय की स्थापना वर्ष 1967 में की गई थी. नवल किशोर सिंह की उसी समय प्राचार्य के रूप में नियुक्ति की हुई थी. पिछले 55 वर्षो से विद्यालय के प्राचार्य के रूप में सेवा दे रहे हैं. विद्यालय को बिहार सरकार से मान्यता भी प्राप्त है. उन्होंने बताया कि जिस समय विद्यालय की स्थापना हुई थी उस समय ₹5 प्रति महीना लेकर विद्यार्थियों को बेहतरीन शिक्षा दिया जाता था. विद्यालय में कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक की पढ़ाई होती थी. यहां सेवा भाव से नियमित शिक्षक के अलावे कई सरकारी शिक्षक और प्रोफ़ेसर भी विद्यार्थियों को शिक्षा देने के लिए पहुंचते थे. इस विद्यालय से पढ़कर आज भी देश और विदेश में कई छात्र-छात्राएं सफलता के परचम लहरा रहे हैं.

कोरोना कॉल के बाद पूरी तरह से बंद हो गया विद्यालय
वर्ष 2020 में कोरोना के कारण देश में लगे लॉकडाउन के बाद जहां कई निजी विद्यालय बंद हो गए वही श्रद्धानंद स्मारक मध्य विद्यालय में भी ताला लटक गया. प्राचार्य नवल किशोर सिंह ने बताया कि महामारी के ठीक पहले तक भी विद्यालय में लगभग 300 छात्र पढ़ते थे. नगर क्षेत्र के अलावा माउर,तेउस,



केवटी,तोयगढ़, सहित एक दर्जन से अधिक गांव के विद्यार्थी यहां पढ़ने के लिए विद्यालय पहुंचते थे. वर्ष 2020 में भी विद्यार्थियों से अधिकतम ₹200 प्रति महीना और न्यूनतम ₹50 प्रति महीना फीस के तौर पर लिया जाता था. बच्चों से फीस तौर पर लिया गया यह राशि भी विद्यालय को सही ढंग से संचालित करने के साथ-साथ शिक्षकों के वेतन देने में प्रयोग किया जाता था. प्राचार्य ने बताया कि विद्यालय का उद्देश्य बिना किसी लाभ के समाज के वंचित बच्चों को बेहतरीन शिक्षा देना था. वर्तमान में जहां निजी विद्यालयों में पहली कक्षा से ही फीस के तौर पर एक मोटी रकम वसूल की जाती है. वैसे मैं यह विद्यालय गरीब बच्चों के लिए किसी वरदान से कम नहीं था.

खंडरनुमा विद्यालय बना अय्याशी का अड्डा
प्राचार्य ने बताया कि कोरोना काल के दौरान विद्यालय बंद होने के कारण सभी छात्र विद्यालय आना छोड़ चुके हैं. विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक भी अन्य विद्यालय में सेवा दे रहे हैं. ऐसे में असामाजिक तत्वों ने विद्यालय को अय्याशी का अड्डा बना लिया है.कई बार विद्यालय में आपत्तिजनक स्थिति में प्रेमी जोड़े को मोहल्ले वासियों ने रंगे हाथ पकड़ा है. इस दिन हीन व्यवस्था से दुखी प्राचार्य ने विद्यालय के पुनरुद्धार के लिए समाजसेवियों के आगे हाथ जोड़कर मदद करने की अपील की है.इसके अलावा उन्होंने जिलाधिकारी से विद्यालय का निरीक्षण करके हर संभव सरकारी सहायता दिलवाने का भी आग्रह किया है.

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