बालू ठेका मामले में MLA सुदर्शन कुमार ने कर दिया साफ, कहा- नहीं किया नियम का उल्लंघन, कोर्ट का आदेश पढ़ लीजिए

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Sheikhpura: बालू ठेका मामले में बरबीघा विधायक सुदर्शन कुमार पर तरह तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं. इस मामले में कहा जा रहा है कि उनकी विधायकी पर खतरा है. कहा यह भी जा रहा है कि सत्ताधारी दल के विधायक सुदर्शन कुमार के फर्म को करोड़ों का बालू का ठेका दिया गया है. विधायक को मिले बालू के ठेके पर आरोप लग रहा है कि उनकी फर्म को ठेका देने के लिए जमकर धांधली की गई. इसके साथ ही बालू के इस ठेके को जन प्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन भी बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि अगर आरोप साबित होते हैं तो विधायक की विधानसभा सदस्यता रद्द की जा सकती है. ऐसे में विधायक सुदर्शन कुमार ने अब सबकुछ क्लीयर कर दिया है.

विधायक सुदर्शन कुमार ने कहा है कि जिस कंपनी को ठेका मिला है वह कंपनी उनके मां के नाम पर है. उनके निधन के बाद वह इसके प्रोपराइटर बने हैं. उन्होंने किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है. सुदर्शन ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला भी दिया. उन्होंने कहा कि विधायक होने के बावजूद अगर सरकार के पास तय राशि जमा कर वह कॉन्ट्रैक्ट ले रहे हैं तो इसमें क्या गलत है?



आपको बता दें कि बालू खनन के जिस ठेके को सुदर्शन कुमार को दिया गया है उसमें बोली लगाने वाले गोपाल कुमार सिंह ने यह आरोप लगाया है सरकारी कागजातों में दर्ज है कि सुनीला एंड संस फीलिंग स्टेशन के मालिक सुदर्शन कुमार हैं. सुदर्शन कुमार ने 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान अपने शपथ पत्र में भी इसके बारे में जानकारी दी है.

वहीं इस मामले तो लेकर शेखपुरा जिले के वरिष्ठ पत्रकार निवास कुमार लिखते हैं कि सांसद-विधायक अगर सिर्फ नेतागिरी करेंगे तो वह दरवाजे पर आए जनता को चाय तक नहीं पिला पाएंगे. लिहाजा प्रत्यक्ष या परोक्ष कंस्ट्रक्शन ठेकेदारी, माइनिंग ठेकेदारी, दारू का ठेका, बड़ी कम्पनियों में सप्लाई, ट्रांस्पोर्टिंग, टोल प्लाजा का ठेका  आदि करना उसकी मजबूरी हो जाती है. वर्षों तक कई विधायक लखीसराय, जमुई, नवादा, सोन नदी के बालू  का ठेका ले रहे थे तो कोई चर्चा नहीं होता था. अब जब बरबीघा के जदयू विधायक सुदर्शन कुमार किउल नदी के बालू का ठेका लिए है तो इसमें कौन सी नई बात है. हर कोई बढ़ना चाहता है. उसका भी अपना खर्चा है. उसके मित्र, नातेदार भी रुपया लगाए है, लिहाजा उन्हें भी कमाने का मौका मिलना चाहिए. हाँ यह देखिए कि क्या जदयू के विधायक होने की वजह से नियम से हटकर उन्हें ठेका दिया गया है? क्या ऊंची बोली लगाने वाले को रोका गया ? बात जहां तक विधायक को ठेकेदारी नहीं करने की तो शिकायतकर्ता अपना आवेदन जहां चाहे दे सकते है. नियम तो सभी के लिए एक समान ही है न? मामला जो भी हो एक बात तो तय हो गया कि सुदर्शन कुमार के लखीसराय के बालू के काले खेल में कूदने के बाद जिले की राजनीति नई करवट लेगी. सुदर्शन के बालू के कारोबार में आने से पुराने राजो बाबू के समर्थक को एक नया प्लेटफार्म मिल जायेगा तथा युवाओं की एक नई लॉबी खड़ी होगी जो कही न कही जिले की राजनीति को प्रभावित करेगी. बड़हिया लॉबी नहीं चाहती है कि कोई दक्षिण-पश्चिम का नेता लखीसराय के राजनीति और इकोनामी पर प्रभुत्व जमाये. वर्षों तक उसी इलाके का प्राकृतिक संपदा और विधान सभा पर दबदबा रहा है. आगे देखिए होता है क्या ?लेकिन एक बात तो तय हो गया कि अब ठेका परम्परागत नहीं रहा ,कोई भी कभी भी टपककर पुराने साम्राज्य को धरासाई कर सकता है.

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