बरबीघा: आधुनिक बिहार के निर्माता तथा बिहार के पहले मुख्यमंत्री डॉ श्रीकृष्ण सिंह को उनकी 135वीं जयंती पर श्रद्धापूर्वक याद किया गया.उनके पैतृक गांव माउर समेत कई शिक्षण संस्थानों व राजनीतिक कार्यालयों में उन्हें श्रद्धा पूर्वक याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया.इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जयसवाल बरबीघा नगर के श्री बाबू चौक पर स्थित
उनकी आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के लिए भी पहुंचे.मौके पर भाजपा के प्रदेश मंत्री डॉ पूनम शर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रोफेसर सुधीर कुमार, भाजपा नेता वरुण सिंह संजय सिंह, अरविंद कुमार के साथ-साथ नालंदा और नवादा जिले के दर्जनों भाजपा नेता उपस्थित रहे. इस अवसर पर डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि श्रीकृष्ण सिंह को आधुनिक बिहार का निर्माता कहा जाता है. बिहार के पहले सीएम को पूरे राज्य में बेहद सम्मान मिलता है.इसकी वजह यह है कि वे एक राजनेता के तौर पर लोकतांत्रिक मूल्यों को बखूबी पालन किया करते थे.बिहार के पहले सीएम श्रीकृष्ण सिंह परिवारवाद के भी खिलाफ रहे.एक बार बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चंपारण के कांग्रेसी कार्यकर्ता उनके बड़े बेटे शिवशंकर सिंह को चुनाव में प्रत्याशी बनाने की मांग लेकर पटना पहुंचे थे. इस पर श्रीकृष्ण सिंह ने कहा कि अगर शिवशंकर सिंह प्रत्याशी बनेंगे तो वह राजनीति से दूर हो जाएंगे. उन्होंने जोर देकर कहा कि पिता पुत्र एक साथ चुनाव में नहीं उतर सकते हैं.हालांकि श्रीकृष्ण सिंह की मृत्यु के बाद छोटे बेटे बंदीशंकर सिंह विधायक बने. हालांकि उसके बाद उनके परिवार से कोई राजनीति में सक्रिय नहीं रहा.वही डॉक्टर पूनम शर्मा ने कहा कि डॉ श्रीकृष्ण सिंह ने बिहार में बहुत कल कारखाने स्थापित किए थे.उनके समय में बिहार
आर्थिक रूप से देश में एक अलग स्थान रखा था. लोगों ने अपने शासनकाल में जितना बिहार का विकास किया उसके बाद एक भी मुख्यमंत्री उनके कार्यों का 10% हिस्सा भी विकास नहीं कर पाए.बिहार के इतिहास में अब तक में सर्वश्रेष्ट मुख्यमंत्री माने जाते हैं.उनके अंदर जात पात और जाति धर्म नाम की चीज नहीं थी.इसका जीता जागता प्रमाण देवघर के मंदिर में दलितों का प्रवेश कराना माना जाता है.डॉक्टर पूनम शर्मा ने केंद्र सरकार से श्री बाबू को देश के प्रति समर्पण भाव और विकास के प्रति उनकी सोच को देखते हुए भारत रत्न देने की मांग की है.