Sheikhpura: इस खबर की हमारे पास कोई तस्वीर नहीं है. सच ये भी है कि तस्वीर लेने का दिल भी नहीं किया. क्योंकि जब मैंने ये नजारा देखा तो उस वक्त तस्वीर लेने से ज्यादा इस सोच में पड़ गया कि आखिर थोक में बच्चे सनफिक्स खरीद क्यों रहे हैं. ऐसा अचानक से कौन सा काम आ गया कि थोक में सनफिक्स खरीदना पड़ रहा है. दो दिन पहले की ही तो बात है. बरबीघा बाजार के झंडा चौक स्थित एक दुकान से दिवाली का सामान ले रहा था. अचानक से वहां 4 बच्चों की टोली आई और दुकान में भगदड़ मच गई.
दुकान के एक स्टाफ ने मालिक से कहा देखिएगा कहीं कुछ लेके निकल न ले. जो मांग रहा फटाफट दे दीजिए. बच्चे भी काफी हड़बड़ी में थे. फटे पुराने 50-50 के नोट बच्चे पॉकेट से निकाल रहे थे और दनादन पॉकेट में सनफिक्स भर भरकर निकल रहे थे. एक बच्चे ने हालांकि दुकानदार से नोक झोंक भी की. वजह ये थी कि एक सनफिक्स में थोड़ा सा छेद था जिसे बच्चा लेना नहीं चाह रहा था और दुकानदार उसको वहीं देना चाह रहा था. हालांकि 1 से 2 मिनट में बच्चे हवा की तरह दुकान में घुसे और आंधी की तरह निकल गए. मैंने आश्चर्यचकित होकर दुकान में पूछा क्या करेगा ये लोग इसका तो दुकानदार पहले तो चुप रहा. फिर धीरे से बोला आप तो ऐसे बोल रहे हैं जैसे आप कुछ जानबे नहीं करते हैं. सब नशा करता है. हमारी गलती ये है कि हमने दुकानदार को एकबार भी नहीं कहा कि आप लोग देते क्यों है.
अब सवाल ये है कि इस समस्या का समाधान निकले कैसे…क्या दुकानदार को सनफिक्स बेचना नहीं चाहिए…बेचना चाहिए तो क्या उम्र देखकर बेचना चाहिए…क्या गारंटी है कि बड़े उम्र वाले इसका दुरूपयोग नहीं करते होंगे…चूंकि सनफिक्स का और भी कुछ काम होता होगा तो ऐसे में दूसरा काम भी उससे प्रभावित नहीं होगा. तमाम तरह के सवाल है लेकिन बेसिक सवाल ये है कि क्या जिला प्रशासन को इसके लिए एक टीम गठित कर ऐसे बच्चों की पहचान नहीं करनी चाहिए ?
दरअसल सनफिक्स ट्यूब से तरल को पालीथिन में डाल दिया जाता है. फिर उस पालीथिन में नाक घुसाकर सूंघा जाता है. इससे सूंघने वाले को जबरदस्त नशा चढ़ता है. यूं शुरुआत में इस प्रकार के नशे का लत एक-आध लोगों को ही थी लेकिन आज की तारीख में इसकी जद में बडी संख्या में समाज के बच्चे आ चुके हैं. धीरे धीरे ऐसे नशेड़ियों की संख्या बढ़ती ही जा रही. इसकी चपेट में 8 वर्ष के बच्चे से लेकर 25 वर्ष तक के युवा आ चुके हैं. लेकिन इसकी लत नाबालिग बच्चों को ज्यादा है. पहले सनफिक्स चंद दुकानों में ही बिकता था. अब तो इसकी भारी डिमांड को देखते हुए बाजार के तमाम मनिहारा, किराना, इलेक्ट्रॉनिक्स और जनरल स्टोर की दुकानों में सनफिक्स धड़ल्ले से बेचा जा रहा है. मामले का दुखद पहलू तो यह है कि दुकानदार भी चंद सिक्कों के लिए छोटे छोटे बच्चों के हाथ सनफिक्स बेचने से गुरेज नहीं करते. जिससे दुकानदारों को भी मोटी कमाई हो रही है. स्थिति इस कदर खतरनाक हो चली है कि समाज में अवस्थित विद्यालय, विभिन्न कार्यालय के सुनसान पड़े परिसरों और बाग-बगीचे आदि पर बच्चे सनफिक्स सूंघने के लिए कब्जा जमाए रहते हैं. इन परिसरों में भारी मात्रा में सनफिक्स के रैपर , खाली ट्यूब और ढक्कन बिखरे पड़े मिल जाते हैं.
गौरतलब है कि तंबाकू उत्पाद की ही तरह सनफिक्स के पैकिंग रैपर पर चेतावनी लिखी है. चेतावनी में स्पष्ट लिखा होता है. यह खतरनाक है इसे बच्चे से दूर रखें. इतनी स्पष्ट चेतावनी और दुरूपयोग से बचने की सलाह के बावजूद दुकानदारों द्वारा धड़ल्ले से नासमझ बच्चों के हाथ बेच रहे हैं. जो बच्चे इस नशे के आदि हो चुके हैं. जानकार बताते हैं कि लगातार सूंघने के कारण इसमें मौजूद खतरनाक रासायनिक पदार्थ फेफड़े पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है.