
बरबीघा:- भ्रष्टाचार को लेकर लगातार विवादों में घिरे रहने वाले बरबीघा के सर्वे कर्मियों पर मंगलवार को निगरानी टीम की गाज गिर गई. निगरानी विभाग ने काशीबीघा गांव के सरकारी पंचायत भवन में संचालित सर्वे ऑफिस में छापेमारी कर के दो कर्मचारी को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया. निगरानी की टीम ने कानूनगो संजीत कुमार और सरकारी अमीन छोटे लाल सोनी को ₹70000 घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया. मंगलवार की दोपहर एक बजे के आसपास अचानक हुई इस कार्रवाई से

ऑफिस में अफरा-तफरी का मच गया था. काफी संख्या में ग्रामीण भी वहां इकट्ठा हो गए थे.हालांकि की निगरानी की टीम ने स्पेशल फोर्स और स्थानीय पुलिस बल की सहायता से कार्रवाई को अंजाम देते हुए दोनों को गिरफ्तार कर पटना ले कर चली गई.बताते चले कि काशीबीघा गांव के सरकारी पंचायत भवन में तेउस,पाक, जगदीशपुर तथा केवटी पंचायत के लिए सर्वे कर्मियों का ऑफिस बनाया गया था. यहां सर्वे करने के नाम पर किसानों से मोटी रकम वसूलने का मामला लगातार सामने आता रहता था.जिला स्तर पर कई बार शिकायत करने के बाद भी किसी प्रकार की कोई कार्यवाई नहीं होने से क्षेत्र के किसान काफी क्षुब्ध थे. जानकारी के मुताबिक पाक पंचायत के एक किसान डॉ अंजनी कुमार से भी सर्वे के नाम पर दोनों ने ₹70000 का डिमांड किया था.डॉक्टर अंजनी कुमार के द्वारा ही इसकी शिकायत निगरानी विभाग में की गई थी. इसके बाद निगरानी की टीम ने पूरी प्लानिंग तैयार करके मंगलवार को अचानक ऑफिस पर धावा बोला और ₹70000 घूस लेते हुए दोनों को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया.निगरानी डीएसपी पवन कुमार ने बताया कि दोनों के ऊपर उचित कार्रवाई की जाएगी.


कांग्रेस के प्रखंड उपाध्यक्ष के साथ भी हो चुका था मारपीट

बताते चलें कि कुछ महीने पहले ही सर्वे के नाम पर एक मोटी रकम का भुगतान नहीं करने पर कांग्रेस के प्रखंड उपाध्यक्ष मोहम्मद कमरुद्दीन के साथ सर्वे कर्मियों ने मारपीट की घटना को अंजाम दिया था. पीड़ित ने उस समय आरोप लगाया था कि सर्वे कर्मियों ने पैसे की डिमांड पूरी नहीं होने पर काम बाधित कर दिया था. विरोध करने पर कमरे में बंद करके कांग्रेस प्रखंड उपाध्यक्ष की पिटाई की गई थी.मामले को लेकर स्थानीय थाना से लेकर जिला प्रशासन तक शिकायत की गई थी.लेकिन किसी प्रकार की कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई. बताया जाता है कि सर्वे कर्मियों के हौसले काफी बुलंद थे. क्षेत्र के किसानों से खुलेआम सर्वे के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती थी. वसूल की गई रकम में से कुछ हिस्सा बाबुओं के टेबल पर भी पहुंचाया जाता था.इसी वजह से किसानों द्वारा शिकायत करने के बाद भी सर्वे कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती थी. सभी कर्मियों ने जब भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी तब आखिरकार पीड़ित किसान ने निगरानी का सहारा लिया और इसमें से दो गिरफ्तार हो गए