
बरबीघा:-विभागीय उदासीनता की वजह से बरबीघा रेफरल अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था पिछले कई वर्षों से ठप पड़ा हुआ है.वर्ष 2019 में ही लाखों की लागत से अल्ट्रासाउंड की मशीन लगाई गई थी.लेकिन तकनीशियन और रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर की कमी के कारण आज तक अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था शुरू नहीं हो पाई है.वहीं अस्पताल के इर्द-गिर्द कई सारे प्राइवेट अल्ट्रासाउंड वालों की इस वजह से खूब चांदी कट रही है. कमीशन के चक्कर में आशा कर्मी से लेकर स्थानीय दलाल तक मरीजों को बरगला कर प्राइवेट अल्ट्रासाउंड सेंटर में पहुंचाने में जुटे रहते हैं. इसकी एक वानगी बुधवार को भी अस्पताल में लगाई गई प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व शिविर के दौरान भी देखने को मिली.गर्भवती महिलाओं का इलाज कर रहे महिला चिकित्सक डॉ मोनिका बल्लभ ने बताया कि शिविर के दौरान लगभग डेढ़ सौ महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए लिखा गया था.मीडिया कर्मियों को लगातार शिकायतें मिल रही थी कि आशा कर्मियों तथा स्थानीय दलालों के द्वारा बरगला कर एक खास जगह पर गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए ले जाया जाता है.इस बात की पुष्टि के लिए प्रभात खबर के संवाददाता ने खुद अपने स्तर से जांच पड़ताल की तो चौंकाने वाले खुलासे सामने आए.दरअसल अस्पताल से आशा कर्मियों के द्वारा गर्भवती महिलाओं को अस्पताल के आस पास स्थित एक निजी अल्ट्रासाउंड केंद्र में ले जाया जा रहा था. गर्भवती महिलाओं को उक्त अल्ट्रासाउंड तक ले जाने के लिए कई आशा कर्मियों को पहले से ही निर्देश प्राप्त रहता है.इसके लिए सभी आशा कर्मियों की भी कुछ न कुछ फिक्स होती है.ऐसी परिस्थिति में गरीब गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के नाम पर अच्छी खासी रकम का भुगतान करना पड़ जाता है.आर्थिक रूप से संपन्न परिवार पर तो इसका खास असर नहीं पड़ता लेकिन गरीब गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड कराने के नाम पर ही पसीने छूटने लगते हैं.प्रभात खबर के संवाददाता ने उस प्राइवेट अल्ट्रासाउंड पर भी धावा बोला और मौके पर मौजूद आशा कर्मियों से वहां मौजूद रहने का कारण पूछा. आशा कर्मियों ने
बताया कि अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था नहीं रहने के कारण गर्भवती महिलाओं को वहां लेकर आते हैं.मीडिया कर्मी ने जब पूछा कि उसे यहां ही क्यों लाते हैं तब सभी ने चुप्पी साध लिया.वही कुछ मिलने की बात सभी आशा कर्मियों ने सिरे से खारिज कर दिया.मीडिया कर्मियों ने जब फोटो और वीडियो बनाना शुरू किया तब कुछ आशा कर्मी अपना मुंह छुपाते भी नजर आए.

सांसद, विधायक डीएम और सिविल सर्जन के आश्वासन के बाद भी नहीं शुरू हुआ अल्ट्रासाउंड



जिले के सिविल सर्जन पृथ्वीराज ने सितंबर के पहले सप्ताह में अल्ट्रासाउंड चालू करवाने की बात मीडिया कर्मियों से कही थी. पिछले महीने जिलाधिकारी भी अपना इलाज करवाने के लिए रेफरल अस्पताल बरबीघा पहुंचे थे.उस समय उन्होंने भी कहा था कि जल्द ही इसको चालू करवाने के लिए उच्चस्तरीय पहल किया जाएगा. क्षेत्र के विधायक से लेकर सांसद तथा पूर्व जिलाधिकारी इनायत खान तक ने सरकारी स्तर पर बातचीत करके अल्ट्रासाउंड को चालू करवाने का वादा किया था.लेकिन अभी तक अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था चालू करवाने को लेकर कोई ठोस प्रयास होता नहीं दिख रहा है. इस वजह से करीब गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कई बार अल्ट्रासाउंड के नाम पर अच्छी खासी रकम चुकानी पड़ जाती है.अस्पताल के मैनेजर राजन कुमार ने बताया कि विभागीय रूप से स्वास्थ्य विभाग तक चिट्ठी लिखी गई है.जैसे ही ऊपर से टेक्नीशियन और रेडियोलॉजिस्ट की बहाली की जाएगी अल्ट्रासाउंड स्वता चालू हो जाएगा.जो भी हो विभागीय उदासीनता और कमीशन के खेल के चक्कर में गरीब गर्भवती महिला पिछले कई वर्षों से पीस रही है. अपनी सुविधाओं के लिए आसपास तक के जिलों में मशहूर बरबीघा रेफरल अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था भी अगर हो जाती तो इसमें चार चांद लग जाता.

क्या कहते हैं पदाधिकारी
इस संबंध में पुनः सिविल सर्जन से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि विभागीय रूप से अल्ट्रासाउंड को चालू करवाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है.जिलाधिकारी महोदय का भी काफी सहयोग मिल रहा है. जल्द ही अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था शुरू करवाए जाएंगे. वहीं उन्होंने कहा कि आशा कर्मियों द्वारा निजी अल्ट्रासाउंड केंद्र में गर्भवती महिलाओं को पहुंचाने के मामले की जांच कराई जाएगी और दोषी पर कार्रवाई होगा.