
Sheikhpura: जिले के बरबीघा में कल यानि शनिवार को एक पत्रकार का अपहरण कर लिया गया. फिर नाटकीय तौर पर वो पत्रकार अर्जुन टॉकीज के पास मिला. पत्रकार ने एफआईआर में लिखा कि पुलिस ने उसे डुमरी गांव के चिमनी से बरामद किया है वहीं उसी पत्रकार का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे वो कह रहा है कि उसे शंकु ने एक बाइक पर बिठाकर डुमरी से बरबीघा पहुंचाया है. सच क्या है ये तो पुलिस पता कर लेगी लेकिन इसके बाद जो बरबीघा में हुआ वो वाकई में ऐतिहासिक रहा…खुद को ईमानदार कहने वाले इमान के पक्के शेखपुरा जिला के पत्रकार ने कल जाने अनजाने में बहुत बड़ी नाइंसाफी कर दी….

दरअसल कल जैसे ही खबर उड़ी कि एक पत्रकार का अपहरण कर लिया गया है सभी पत्रकार थाना में धरने पर बैठ गए. बरबीघा के सभी प्रकांड पत्रकार तो धरना पर बैठे ही साथ ही शेखपुरा भी बुलावा भेजा गया कि आप लोग भी आइए सभी को एकता दिखानी है. वहां से भी टोपी और सूट बूट वाले पत्रकार दौड़े दौड़े आए. बरबीघा के पत्रकार उमेश जी भी आंदोलन में हिस्सा लेने गए वहां पर जिस पत्रकार का अपहरण हुआ था उसने वार्ड मेंबर रौशन कुमार के इशारे पर उमेश जी को पीट दिया. उसका वीडियो भी सोशल मीडिया में तैर रहा है. उसके बाद उमेश कुमार तो अपने घर चले गए लेकिन बड़ा सवाल ये उठता है कि एक पत्रकार के साथ क्या पक्षपात नहीं हुआ. जो पत्रकार रो रहा है…. चीख चीखकर कह रहा है कि सर हमको मार के बर्बाद कर दिया है वहीं पत्रकार एक नेता के इशारे पर इतना हिंसक हो गया कि दूसरे पत्रकार को पीट दे…उसकी गलती क्या थी…इसके बाद भी पत्रकार लोग वहां पर एक पक्ष के लिए धरना पर बैठे रहे…वहीं दूसरे पक्ष जो कि उमेश जी का है उसके लिए सामने कोई नहीं आया…और खबर ये भी मिल रही है कि उमेश जी पर भी अपहृत पत्रकार ने केस किया है…


इस कहानी का वैसे तो सच पूरा बरबीघा जानता है कि लेकिन आखिर कल ऐसा क्या हुआ…दरअसल कल उपसभापति के पति ने आरोप लगाया कि नगर परिषद के ऑफिस में उपसभापति के चैंबर में सीसीटीवी कैमरा लगवा दिया गया है. जिसका आईडी पासवर्ड वार्ड मेंबर रौशन कुमार के पास है…हालांकि बाद में मामला शांत हो गया. लेकिन जैसे ही सभी लोग नगर परिषद के नीचे आए तो एक पुलिस की गाड़ी वहां पर लग गई. पुलिस ने कहा कि हमे सूचना मिली थी यहां पर कुछ लोग हंगामा कर रहे है. पुलिस नगर परिषद के अंदर गई और वहां जांच पड़ताल करने के बाद बाहर आई. पुलिस ने पत्रकार को बयान दिया है कि नगर परिषद में कही भी किसी तरह का कोई दिक्कत नहीं है किसी प्रीतम ने गलत कॉल किया है. यहां मामला शांत है. अब ताज्जुब की बात ये है कि नगर परिषद के मुख्य क्लर्क नागेंद्र कुमार ने केस किया है कि नगर परिषद में तोड़ फोड़ की गई है. सरकारी काम में बाधा डाला गया है…अब समझने वाली बात ये है कि पुलिस ने जिस जगह को वेरिफाई करके क्लीन बता दिया वहीं से एक सरकारी कर्मचारी केस करता करता है कि तोड़ फोड़ हुई है…ये टोटल कुर्सी की लड़ाई है.

तो अब सवाल उठता है कि आखिर सच क्या है…बताये आपको सच क्या है…सच ये है कि ये लड़ाई नगर परिषद चुनाव में हुए रिजल्ट का परिणाम है…एक गुट में शंकु कुणाल हैं वहीं दूसरे गुट में खुद रौशन हैं…सच ये है कि आज रौशन कुमार मात्र एक वार्ड मेंबर हैं लेकिन उनको लगता है कि हम की चेयरमैन हैं…सच ये है कि अपहृत पत्रकार निशिकांत गिरी ने दो नेताओं की लड़ाई में खुद का बदला इस मौके का फायदा देखकर उमेश से ले लिया…पत्रकारों ने भी उस युवा पत्रकार का साथ दिया जो उनको वीडियो और खबर संकलन करके देता है…क्योंकि ये भी सच है कि बरबीघा में उमेश उभरते हुए पत्रकार हैं जो लगातार अलग अलग जगहों पर जाकर स्टोरी कवर करते हैं…पुराने पत्रकार जिन्हे कुर्सी तोड़ने की आदत लग गई है उसे उमेश खबर नहीं देता है…इसलिए उमेश के पत्रकारिता कैरियर को खत्म करने के लिए सभी पत्रकार एकजुट हो गए और केस हो जाने के बाद भी मौन रहे…फाइनली एक बात ये है कि उमेश पर केस किया गया है क्या उसके लिए सभी पत्रकार धरना पर बैठेंगे ? यदि नहीं बैठे तो आप समझ सकते हैं कि असली मामला क्या है…….