Barbigha:-बरबीघा प्रखंड के केवटी पंचायत अंतर्गत केवटी गाव के मोड़ पर अवस्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में मंगलवार को धूमधाम से कस्तूरबा जयंती व प्रवेश उत्सव मनाया गया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पंचायत के मुखिया डॉ दीपक कुमार शामिल हुए.
मुखिया के साथ-साथ विद्यालय के शिक्षकों द्वारा कस्तूरबा गांधी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दिया गया.छात्राओं ने रंगोली,चित्रांकन आदि कार्यक्रम कर उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया.इस अवसर पर छात्राओं ने संकल्प लेते हुए कहा हम लोग समाज में व्याप्त बाल विवाह,दहेज प्रथा व नशा का विरोध करूंगी.साथ ही साथ इन सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन हेतु अपने परिवार व समाज में जागृति लाने का प्रयास करूंगी.
साथ ही यह भी संकल्प लेती हूं कि कस्तूरबा विद्यालय से शिक्षा ग्रहण के उपरांत आगे की शिक्षा जारी रखेंगे. शिक्षित नए समाज व राष्ट्र के निर्माण में सहभागी बनी रहूंगी.मौके पर मौजूद मुखिया डॉ दीपक कुमार ने विद्यालय के छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कस्तूरबा गांधी के जीवनी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दीं. उन्होंने बताया कि कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल 1869 ई में काठियावाड़ के पोरबंदर नगर में हुआ था.मात्र 7 साल की अवस्था में उनकी सगाई महात्मा गांधी के साथ हो गई थी.
पुन: 13 साल की उम्र में दोनों का विवाह हो गया.महात्मा गांधी की पत्नी होने के अलावा कस्तूरबा गांधी की अपनी पहचान भी थी.वें एक समाज सेविका थी.गरीब और पिछड़े वर्ग के लिए बापू ने काम काम किया यह तो हम सब जानते हैं.कितु दक्षिण अफ्रीका में अमानवीय हालात में भारतीयों को काम कराने के विरूद्ध आवाज उठाने वाली कस्तूरबा गांधी ही थीं. सर्वप्रथम कस्तूरबा गांधी ने ही इस बात को प्रकाश में रखा और उनके लिए लड़ते हुए तीन महीने के लिए जेल भी जाना पड़ा.इसके अलावा जब वे भारत लौटें तो अपने अंतिम क्षण तक भारतीयों की सेवा करती रहीं.वहीं वार्डन ने छात्राओं को बताया कि एक गरीब परिवार की छात्रा आगे की पढ़ाई कर भविष्य को सवारे और इस संस्था के साथ समाज एवं देश का नाम रोशन करें.
इस अवसर पर पासआउट छात्राओं को जहां मुखिया जी के द्वारा सम्मानित किया गया वहीं कई सारी लड़कियों को प्रवेश भी विद्यालय में दिलाई गई. मौके पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, शिक्षा विभाग के एपीओ सुनील कुमार अकाउंटेंट अनिल चंद्रवंशी सहित अन्य लोग उपस्थित रहे