Barbigha:-ड्यूटी के दौरान दिल का दौरा पड़ने से शहीद हुए सूर्यकांत कुमार के परिवार से शुक्रवार को मिलने के लिए ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार तथा बरबीघा के जदयू विधायक सुदर्शन कुमार पहुंचे.सभी ने परिवार को सांत्वना देते हुए शहीद सूर्यकांत की आत्मा की शांति के लिए भगवान से प्रार्थना किया.मौके पर मंत्री ने कहा कि समाज ही नहीं बल्कि देश ने अपना एक वीर सपूत खोया है.
शहीद सूर्यकांत के अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरे हुई थी.परिवार वालों ने बताया कि विभाग से एक फोन आने पर वह सारे कार्य छोड़कर देश की रक्षा के लिए चल पड़ता था.ऐसे वीर और देश सेवा के प्रति समर्पित सपूत को खोना देश के लिए अपूरणीय क्षति है.मौके पर उपस्थित ग्रामीणों ने शहीद सूर्यकांत कुमार की याद में गांव में एक शहीद द्वार बनवाने का मांग किया.जिस पर मंत्री, सांसद और विधायक ने एक सुर में सहमति देते हुए कहा कि निश्चित तौर पर इस दिशा में ठोस पहल की जाएगी.
वीर शहीद सूर्यकांत कुमार को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी.वही मौके पर विधायक सुदर्शन कुमार ने कहा कि जवान बेटे को खोना किसी भी परिवार के जीवन का सबसे दुखद पहलू होता है.आज भले ही सूर्यकांत कुमार हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वे हम लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे.मौके पर बिहार शरीफ के पूर्व विधायक इंजीनियर सुनील कुमार, शेखपुरा के पूर्व जदयू जिला अध्यक्ष अर्जुन प्रसाद,ब्रजेश कुमार सिंह,सुरेश सिंह,मिंकू कुमार, सहित अन्य लोग उपस्थित रहे. गौरतलब हो कि मंगलवार को ही ड्यूटी पर दिल का दौरा पड़ने के कारण लेफ्टिनेंट सूर्यकांत कुमार शहीद हो गए थे.
गुरुवार को उनका पार्थिव शरीर बरबीघा स्थित सकलदेव नगर मोहल्ले में उनके आवास पर पहुंचा था.उनके अंतिम दर्शन के लिए पहले से ही हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे.सूर्यकांत कुमार उर्फ सोनू मूल रूप से नालंदा जिला के खेतलपुरा गांव निवासी भोला सिंह के तीन पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र थे.
उनके पार्थिव शरीर को लेकर पहुंचे लेफ्टिनेंट कमांडर सचिन ने बताया कि मंगलवार को ड्यूटी के दौरान उनके सीने में तेज दर्द के साथ सांस लेने में तकलीफ शुरू हुई थी.उन्हें तुरंत इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पर शहीद हो गए. गुरुवार को ही बाढ़ स्थित उमानाथ घाट पर अंतिम सलामी के साथ उनका दाह संस्कार किया गया.
आठ साल पहले नेवी में लगी थी नौकरी
शहीद सूर्यकांत की लगभग आठ साल पहले नेवी में लेफ्टिनेंट के तौर पर नौकरी लगी थी. उन्होंने गांव से ही अपने प्रारंभिक शिक्षा पूरी किया था.नागालैंड स्थित सैनिक स्कूल इंफाल में पढ़ने के दौरान ही एनडीए कंप्लीट करके नेवी में नौकरी पाई थी. परिजनों ने बताया कि जनवरी महीने में जब सूर्यकांत घर लौटा था उस समय भी मां को सीने में दर्द होने की बात बताई थी.परिवार वालों ने जल्द से जल्द इलाज करवाने का सलाह दिया था.लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर थी.मंगलवार की रात हार्ट अटैक की वजह से वे शहीद हो गए.
पिता बेटे की शादी किस कर रहे थे तैयारी
परिवार वालों ने बताया सूर्यकांत चार भाई-बहनों में से सबसे बड़ा था.जब उसे नेवी में नौकरी मिली थी तो परिवार में खुशियों का ठिकाना ना था. इस वर्ष पिता अपने पुत्र की शादी की तैयारी कर रहे थे. लेकिन होनी के आगे एक नहीं चली.सूर्यकांत के शहीद होने के बाद घर में मातम पसर गया है.सबसे ज्यादा बुरा हाल उसकी मां का है.