Barbigha:-विवादित जमीन अधिग्रहण की वजह से पिछले 19 वर्षों से शेखपुरा दनियावां रेल पथ का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है.जिला प्रशासन और किसानों के बीच मामले को सुलझाने के लिए दर्जनों बार बैठक हो चुकी है.लेकिन उचित मुआवजा नहीं मिलने से नाराज किसान जमीन देने के लिए किसी भी कीमत पर तैयार नहीं हो रहे हैं.बुधवार को भी जमीन अधिग्रहण का मामला सुलझाने के लिए थाना परिसर में किसानों के साथ भू-अर्जन पदाधिकारी, एसडीएम, डीएसपी और अंचलाधिकारी ने बैठक किया.
लेकिन किसानों के जिद के आगे एक बार फिर से बैठक पूरी तरह से बेनतीजा रहा. गौरतलब हो कि शेखपुरा जिला में 22 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बननी है.इसमें से अब तक 14 किलोमीटर तक का निर्माण हो चुका है.शेष रेल लाइन का निर्माण कार्य बरबीघा नगर क्षेत्र के नारायणपुर मौजा में जमीन अधिग्रहण का मामला लंबित होने के कारण अधूरा पड़ा हुआ है.मामले को लेकर अंचलाधिकारी भुवनेश्वर यादव ने बताया कि बुधवार को जिला प्रशासन ने अब इस मामले को मुंगेर में स्थित लारा कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया है. गौरतलब हो कि रेल पथ के जमीन अधिग्रहण विवाद के निपटारे के लिए मुंगेर में सरकार की ओर से विशेष लारा कोर्ट बनाया गया है.
भू-अर्जन पदाधिकारी धर्मेश कुमार सिंह ने बताया कि 30 मई को किसान और जिला प्रशासन लारा कोर्ट में उपस्थित होंगे. जहां जमीन अधिग्रहण के विवाद का निपटारा करने का प्रयास किया जाएगा. इससे पहले यह मामला हाईकोर्ट में था. हाईकोर्ट के आदेश पर जिला प्रशासन ने छह सदस्यीय कमेटी गठित कर जमीन अधिग्रहण का मुआवजा तय किया था.लेकिन किसानों ने कमेटी द्वारा तय किया गया मुआवजा लेने से इनकार कर दिया.किसानों के दल की अगुवाई कर रहे रंजीत कुमार ने बताया कि नारायणपुर मौजा में 300 से अधिक किसानों का कुल 44 एकड़ भूमि रेलवे द्वारा अधिग्रहण किया जाना है.
रंजीत कुमार ने बताया कि जिला प्रशासन 1 जनवरी 2014 की दर से अधिग्रहित जमीन को आवासीय की जगह कृषि भूमि की दर से मुआवजा देना चाह रहा है. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में भी किसानों को आवासीय भूमि की दर से जिला प्रशासन को भुगतान करने को कहा था. लेकिन जिला प्रशासन कृषि भूमि की दर से किसानों को मुआवजा देने की जिद पर अड़ा है. इसी बात को लेकर जिला प्रशासन और किसानों के बीच बात नहीं बन रही है. अब 30 मई को लारा कोर्ट में होने वाले फैसले पर सबकी नजर टिकी हुई है