Barbigha:-रेलवे द्वारा अधिग्रहित भूमि का उचित मुआवजे को लेकर पिछले कई बरसों से रेलवे, जिला प्रशासन और किसानों के बीच चला रहा मुद्दा एक बार फिर से गरमा उठा है.दो दिन पूर्व एक निजी सभागार में किसानों ने बैठक करके निर्णय लिया कि उचित मुआवजा दिए बगैर किसान जान तो दे देंगे लेकिन जमीन नहीं देंगे.दरअसल बरबीघा नगर क्षेत्र के नारायणपुर मौजा में शेखपुरा दनियावां रेल लाइन परियोजना के तहत रेलवे द्वारा जमीनों का अधिग्रहण किया गया है.
उक्त अधिग्रहित भूमि का उचित मुआवजा देने को लेकर किसान और रेलवे के बीच काफी दिनों से तनातनी चल रही है.मामले को सुलझाने के लिए अब तक जिला प्रशासन और किसानों के बीच कई बार बैठक हुई है.बीते शनिवार को भी इस संबंध में जिला प्रशासन ने आनन-फानन में किसानों को बुलाकर बैठक किया था. किसान रंजीत कुमार, रवि शंकर कुमार, भोला महतो सहित दर्जनों किसानों ने बताया कि डीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक एक बार फिर से बेनतीजा रहा.
साथ ही जिला प्रशासन पर किसानों धमकाने का भी आरोप लगाया गया है. किसानों ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन ने कहा है कि आदेश मिलते ही इस बार बलपूर्वक जमीन की नापी की जाएगी.इसी बात को लेकर सोमवार को किसानों ने आपात बैठक करते हुए यह निर्णय लिया की किसान जान दे देंगे लेकिन जमीन नहीं देंगे.
हाईकोर्ट के आदेश पर मुंगेर के लारा कोर्ट में हो रही सुनवाई
दरअसल से शेखपुरा दनियावां रेल लाइन परियोजना में बरबीघा के नारायणपुर मौजा में सैकड़ों किसानों का जमीन गया हुआ है.रेट निर्धारण को लेकर किसान हाई कोर्ट तक लड़ाई लड़ चुके हैं.पूर्व में हाईकोर्ट ने 01.01. 2014 को अधिसूचना मानते हुए किसानों को उच्चतम रेट देने संबंधी फैसला किसानों के पक्ष में फैसला भी आ चुका है.इसके बावजूद रेलवे और किसानों के बीच मुआवजे को लेकर विवाद चल रहा है.वही हाईकोर्ट ने पुनः इस मामले को मुंगेर के लारा कोर्ट में सुनवाई के लिए स्थानांतरित कर दिया गया है. सुनवाई से पहले रेलवे अधिग्रहित भूमि पर काम करना चाहती है.जबकि किसानों का कहना है कि कोर्ट में सुनवाई पूरी होने और मुआवजा मिलने के बाद ही काम करने दिया जाएगा.
मुआवजे को लेकर क्या है किसानों की मांग
दरअसल शेखपुरा दनियावां रेल लाइन परियोजना में नारायणपुर मौजा में अधिकृत किया गया भूमि को कृषि भूमि बताकर रेलवे ने मुआवजा तय किया है. उधर किसानों का कहना है कि अधिग्रहीत किया गया अधिकांश भूमि बरबीघा नगर परिषद क्षेत्र में पड़ता है. नगर क्षेत्र में पढ़ने वाली भूमि कृषि नहीं आवासीय भूमि होती है.किसानों ने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए जिला भू-अर्जन पदाधिकारी वर्ष 2011 के अधिसूचना को आधार मानते हुए किसानों को मुआवजा देना चाहते हैं. किसानों ने बताया कि वर्ष 2011 के हिसाब से बेहद कम मुआवजा किसानों को मिलेगा. इसलिए किसान उचित मुआवजे की मांग पर अड़े हुए हैं.अब देखना है कि शेखपुरा की जिलाधिकारी जे प्रियदर्शीनी किसानों के साथ इस मुद्दे को कैसे सुलझाती है