शेखपुरा जिला में बाल अधिकारों के प्रति लोगों को किया जा रहा जागरूक..चाइल्ड ट्रैफिकिंग को लेकर स्टेशनों पर चला अभियान

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Barbigha:-विश्व मानव दुर्व्यवहार निषेध दिवस के अवसर पर 30 जुलाई को कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के सहयोगी संस्था एनिमल एंड ह्यूमन डेवलपमेंट सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा शेखपुरा जिला में ट्रैफिकिंग के खिलाफ जनजागरूकता अभियान चलाया गया.इस दौरान लोगों को ट्रैफिकिंग के खिलाफ शपथ भी दिलाई गई. सदर प्रखंड के गवय पंचायत के नवादा ग्राम में सीएसडब्ल्यू जुली कुमारी द्वारा बाल तस्करी के खिलाफ प्रभात फेरी निकाली गई.संस्था द्वारा शेखपुरा स्टेशन पर स्टेशन प्रबधक भागवत रविदास, रेल पुलिस पदाधिकारी राम सुनिश सिंह की मदद से पूरे स्टेशन की रोको टोको और सघन जांच किया चलाया गया.जिसमे संस्था के निदेशक दिव्यांशु कुमार, जिला समन्वयक कन्हैया कुमार, काउंसलर पल्लवी कुमारी, सीएसडब्ल्यू रवि कुमार, चंदन कुमार, राकेश कुमार आदि शामिल रहे.

एनीमल एंड ह्यूमन डेवलपमेंट सोशल वेलफेयर सोसाइटी मई महीने से स्कूलों, आंगनबाड़ियों, पंचायतों के अलावा घर-घर जाकर बच्चों की ट्रैफिकिंग और बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूकता अभियान चला रहा है.लोगों को बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने की शपथ दिला रहा है. इन सतत प्रयासों का उद्देश्य बच्चों की ट्रैफिकिंग और बाल श्रम के खिलाफ लोगों में जागरूकता के स्तर को बढ़ाना और इसकी बुराइयों से अवगत कराना है. यद्यपि पिछले एक दशक में देश में केंद्र और राज्य सरकारों ने बच्चों की ट्रैफिकिंग पर काबू पाने के लिए कई ठोस कदम उठाए लेकिन आम लोगों में जागरूकता की कमी के कारण ये प्रयास पूरी तरह सफल नहीं हो पाए हैं.



देश के विभिन्न हिस्सों में बाल दुर्व्यापार या बच्चों की ट्रैफिकिंग को रोकना दशकों से एक बड़ी चुनौती है.यद्यपि सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर प्रयासों के कारण ट्रैफिकिंग के मामले दर्ज होने की संख्या बढ़ी है लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना शेष है. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के 2021 के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में हर घंटे नौ बच्चे लापता होते हैं.जबकि रोजाना आठ बच्चे ट्रैफिकिंग के शिकार होते हैं.रिपोर्ट बताती है कि 2021 में देश 77,535 बच्चे लापता हुए जो 2021 के मुकाबले 31 फीसद ज्यादा है.

एनिमल एंड ह्यूमन डेवलपमेंट सोशल वेलफेयर सोसाइटी के संस्थापक बिनोद कुमार ने कहा कि लोगों में जागरूकता फैलाकर ही इस बुराई को जड़ से खत्म किया जा सकता है. हमने जो जागरूकता अभियान चलाया उससे लोगों की मानसिकता बदली है और सुखद नतीजे सामने आ रहे हैं. हालांकि सरकारें और कानून प्रवर्तन एजेंसियां पूरी मुस्तैदी से बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने के प्रयासों में जुटी हुई हैं लेकिन इस संगठित अपराध को देश से पूरी तरह खत्म करने के लिए एक कड़े एंटी-ट्रैफिकिंग कानून की सख्त जरूरत है.इसलिए सरकार संसद में एंटी-ट्रैफिकिंग बिल शीघ्र पास कराए.

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