आम लोगों के लिए पढ़ना आसान हुआ भागवत महापुराण..बरबीघा के वरिष्ठ शिक्षक ने 18000 श्लोक का किया हिन्दी पद्यानुवाद

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Barbigha:-विष्णुधाम सामस के निवासी और हिन्दी के प्रसिद्ध कवि अरविन्द मानव ने अतीत में चार वर्षों के अथक परिश्रम से भागवत महापुराण के 18000 श्लोकों का खड़ी बोली हिन्दी में गाने लायक पद्यानुवाद किया था. उनके द्वारा अनुवाद किया गया पुस्तक का प्रकाशन पटना के महावीर मन्दिर से हुआ है.सम्पूर्ण पुस्तक चार खण्डों में प्रकाशन के लिए तैयार है.सन् 2006 ई. में इसके दसवें स्कन्ध का प्रकाशन एक बार हो चुका है.अबकी बार पहले खण्ड के रूप में 1-4 स्कन्धों का प्रकाशन हुआ है.

इसका लोकार्पण विष्णुधाम महोत्सव के दौरान सामस में ही स्थित श्रीराधाकृष्ण ठाकुरबाड़ी में हुआ. इस मौके पर भागवत-कथा के मर्मज्ञ पं. रणधीर चौधरी भी उपस्थित थे.उन्होंने बताया कि इस पुस्तक के विमोचन होने से भागवत कथा के वाचकों को अपनी प्रस्तुति देने में बहुत आसानी होगी. वे भक्ति-भावपूर्ण कीर्तन की शैली में इसे प्रस्तुत कर सकेंगे तथा श्रोता भी मूल भागवत का आनन्द उठा सकेंगे.महावीर मन्दिर के प्रकाशन प्रभारी पं. भवनाथ झा ने अपना उद्गार व्यक्त किया कि लगभग 500 वर्षों से भागवत महापुराण को जन-जन तक पहुँचाने के लिए हमारे सन्त कवियों ने इसे जनभाषा के माध्यम से लिखने का प्रयास किया है. लेकिन आज उनकी भाषा भी सामान्य पाठक के लिए अपरिचित हो चुकी है.



अतः खड़ी बोली में एक गेय पद्यानुवाद की आवश्य़कता का अनुभव किया जा रहा था, जिसकी पूर्ति अरविन्द मानव ने की है.उन्होंने बतलाया कि अगले कुछ महीनों में सम्पूर्ण भागवत के मुद्रण के लिए हमलोग प्रयास कर रहे है.भागवत का इस प्रकार का अनुवाद सुधी पाठकों के लिए तथा भक्तों के लिए समान रूप से उपयोगी होगा. इस लोकार्पण कार्यक्रम में महावीर मन्दिर की ओऱ से कवि अरविन्द मानव को सम्मानित किया गया.

विमोचन के दिन ही बिक गयी पचास प्रतियाँ

भागवत के मर्मज्ञों ने इस पुस्तक को हाथों हाथ लिया है.विमोचन के दिन ही इसकी पचास प्रतियां बिक गयी. अरविन्द मानव ने बताया कि मैंने जो लिखा उसे भगवान् के श्रीचरणों में अर्पित किया है.अब पाठक इससे यदि लाभान्वित होते हैं तो इसे हम भगवान् श्रीकृष्ण का प्रसाद मानेंगे.

पुस्तक का लोकार्पण करते अरविंद मानव

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