Barbigha-शेखपुरा से बरबीघा होते हुए दनियावां के रास्ते पटना के नेउरा तक बनने वाली रेलवे लाइन हेतु बरबीघा के नारायणपुर मौजा में अधिग्रहित किए गए 23 और किसानों के हक में हाई कोर्ट द्वारा फैसला सुनाया गया है. दरअसल यह सभी वैसे किसान हैं जिन्होंने पहले ही रेलवे से भुगतान प्राप्त कर लिया था.हाई कोर्ट में किसानों के लिए मुकदमा लड़ने में अगुवाई कर रहे शेरपर गांव के ग्रामीण मिथिलेश कुमार उर्फ मिट्ठू सिंह ने बताया वर्ष 2003 में तत्कालीन रेल
मंत्री नीतीश कुमार ने रेल लाइन बनाने हेतु स्वीकृति प्रदान किए थी. 2008 में जमीन अधिग्रहण संबंधित अधिसूचना जारी हुआ था.उस समय बरबीघा के नारायणपुर मौजा में किसानों के अधिग्रहित जमीन के बदले अधिकतम ₹3300 प्रति डिसमिल का भुगतान करने की राशि तय की गई थी.उस समय कुल 23 किसानों ने बिना किसी अनापत्ति के रेलवे से जमीन के बदले पैसा प्राप्त कर लिया था. इसके बाद रेलवे और जिला प्रशासन द्वारा अधिग्रहित जमीन के मूल्य
निर्धारण को किसान नेता रंजीत कुमार द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. लंबी लड़ाई के बाद वर्ष 2019 में हाईकोर्ट ने किसानों के हक में फैसला देते हुए रेलवे और जिला प्रशासन को 01-01-2014 के अनुसार अधिकतम मूल्य भुगतान करने का आदेश दिया था.इसके बाद भी करीब चार वर्षों तक मुंगेर के विशेष लारा कोर्ट में मूल्य निर्धारण को लेकर जिला प्रशासन और किसानों के बीच लंबी कानूनी लड़ाई चलती रही.
इस दौरान किसानों ने जोरदार धरना प्रदर्शन भी किया. आखिरकार लारा कोर्ट ने भी न्यूनतम 99500 प्रति डिसमिल के डर से किसानों को भुगतान करने का आदेश दिया.लारा कोर्ट के इस फैसले के बाद पहले ही अपना भुगतान प्राप्त कर चुके शेरपर गांव के 23 किसान भी हाईकोर्ट पहुंच गए.हाई कोर्ट में किसानों ने दलील दिया कि एक ही मौजा में हम सभी का जमीन होने के कारण क्यों ना हमें भी अधिकतम मूल्य के दर से भुगतान किया जाए. मिथिलेश कुमार उर्फ मिट्ठू सिंह
ने बताया किसानों का पक्ष सुनने के बाद बीते 14 मई को हाईकोर्ट ने शेष 23 किसानों को भी अधिकतम मूल्य के दर से भुगतान करने का आदेश रेलवे और जिला प्रशासन को दिया है. सोमवार को इस संबंध में किसानों का एक दल जिला अधिकारी से भी मिला.किसानों ने हाईकोर्ट के आदेश से अवगत कराते हुए पहले भुगतान पा चुके किसानों के लिए भी नई दर से भुगतान की दिशा में पहल करने की मांग की है.