Desk:-इतिहास में नेताओं की खेप पर नजर डाले तो कोई सड़क पर संघर्ष से उभरता है तो कोई फिल्मों से मिली लोकप्रियता का लाभ उठाकर नेता बन जाता है. कोई बाप की विरासत संभालता है, कोई छल कपट से सत्ता हासिल कर लेता है.कोई अपनी कर्तव्यनिष्ठा और वफादारी से शिखर तक पहुंच जाता है.
अलाउद्दीन खिलजी ने छल से सत्ता हासिल किया, इल्तुतमिश गयासुदीन बलबन का गुलाम था, शेर शाह बहार खान लोहानी का अंगरक्षक था, अकबर हुमायूं का बेटा था, जवाहर लाल नेहरू सोने की चम्मच लेकर पैदा हुए वकील मोती लाल नेहरु के पुत्र थे, इन्दिरा जवाहर की गुड़िया बेटी थीं.लाल बहादुर शास्त्री सामान्य परिवार के पुत्र थे. वीपी सिंह राजा के बेटे थे.
संघर्ष से उभरे शरद पवार, शरद यादव, नीतीश कुमार (किसान के बेटे) लालू प्रसाद यादव गरीब पशुपालक पुत्र, नरेंद्र मोदी गरीब परिवार के पुत्र सबका अपना-अपना हुनर है.किसी एक खांचे से नहीं है.अलग-अलग खांचे से हैं..राजनेता के तौर पर सफल रहे हैं.छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा, पूर्व वित्त मंत्री नटवर सिंह, वर्तमान केंद्रीय मंत्री राजकुमार सिंह समेत दर्जनों नाम है जिन्होंने सिविल सेवा से होकर राजनीति का रास्ता चुना और सफल हुए.
इनकी सफलता के पीछे इनका जनता से सरोकार रखना, मुद्दों की समझ, सिविल सेवा के कथित अहंकार को त्याग राजनेता की तरह व्यवहार करने में सफल रहना भी है.देश को ऐसे मंजे हुए सड़कों से उठे संघर्षशील नेता के साथ-साथ नीतियों की समझ रखने वाले पढ़े-लिखे राजनेता की भी जरूरत है.सिर्फ बैकबेंचर ही नेता नहीं हो सकते. सिविल सेवा त्यागने वाले दर्जनों नेताओं ने अपनी पहचान को पीछे छोड़ कर खुद को जनता के नेता के रुप में स्थापित कर लिया है.हर समाज को, हर वर्ग को, हर राज्य को अपनी श्रेष्ठ प्रतिभाओं को राजनीति में आगे करने की ज़रुरत है.
क्योंकि,राजनेता गुंडे, बदमाश, मवाली, बवाली, लठैत, माफिया, धनपशु नहीं होते हैं.कोई भी विचारहीन व्यक्ति नेता नहीं हो सकता है.हनक, रौब, ज्ञान, अहंकार और रुतबे का प्रदर्शन करने वाला कोई आत्ममुग्ध व्यक्ति भी नेता नहीं हो सकता है.महज भीड़ इकट्ठा कर लेने से भी कोई राजनेता नहीं हो सकता है. मदारी भी भीड़ जुटा कर भाषण देने का काम करते हैं.
राजनेता तो वो होता है जो जनता को सुने, सुख की बात, दुख की बात, संवेदनशील होकर सुने.सही और गलत में अंतर समझा सके, गलत रास्ते पर जाने से मना करे.फरियादी के दुख पर जितना हो सके उतना मरहम लगाने की कोशिश करे.इंसान खुदा नहीं होता किंतु वह खुदा के संदेश के अनुसार दूसरों की भलाई करने की कोशिश करता है तो लोग उसे स्नेह, प्यार और सम्मान देते हैं, किसी की आस्था के केंद्र बन जाते हैं. बस उसमें जनता के बीच में उतरने का हुनर होना चाहिए, मन में संवेदना और परोपकार की भावना होनी चाहिए.तब ही आप नेता बन सकते है.
साभार..