नहर के जीर्णोद्धार में जमकर हुआ भ्रष्टाचार..रात अंधेरे में अधिकारियों ने बेच लिया मिट्टी..कमजोर तटबंध के टूटने से खेतों तक नहीं पहुंच पा रहा पानी.

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Barbigha:-सकरी सिंचाई प्रणाली के तहत आने वाले नहरों के जीर्णोद्धार में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने की बात उठ रही है.सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर जीर्णोद्धार के दौरान नहर से निकलने वाली मिट्टी को नहर के दोनों और तटबंधों पर देने की बजाय रात के अंधेरे में बेच लेने का आरोप लगाया जा रहा है.हाल के दिनों में नहर में पानी आने के बाद जहां-तहा से टूटे कमजोर तटबंध इस बात को और बल रहे हैं.इस संबंध में नहर बचाओ अभियान समिति के सदस्य सह वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि किसानों के अथक प्रयास के बाद नवादा और नालंदा के सांसद तथा विधायकों के अलावा मंत्री अशोक चौधरी के पहल पर सकरी सिंचाई प्रणाली का जीर्णोद्धार, उन्नयन और मजबूतीकरण का अनुशंशा प्राप्त हुआ था.

लेकिन इसी वर्ष मई माह में जीर्णोद्धार के दौरान अधिकारियों की मिली भगत से ठेकेदार ने नहर के समूचे बर्म और नहर के सतह से निकले मिट्टी को तटबंधों पर देने की बजाय ढाई सौ रुपए टेलर की दर से रात के अंधेरे में बेच दिया गया.नतीजा तटबंध पूरी तरह से कमजोर पड़ चुका है. नहर में आने वाले पानी के वेग के कारण तटबंध जहां-जहां से टूट रहे हैं.हद तो तब हो गई जब उस टूटे तटबंध की मरम्मत के लिए विभाग के एसडीओ साहब अब लोकल आदमी से ऊंचे दाम पर वही मिट्टी खरीद रहे हैं.



खासकर बिहार डिविजन के अंतर्गत आने वाले पौरा से लेकर बाजितपुर तक 19 किलोमीटर लंबे नहर के जीर्णोद्धार में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है.इस भाग के कार्यपालक अभियंता और एसडीओ बिहार शरीफ डिवीजन ऑफिस में ही बैठते हैं.इन दोनों के भाग के बीच से लगभग 5000 से अधिक टेलर मिट्टी बेच ली गई है. रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि मई 2024 में काम होने के दौरान विभाग के एसडीओ को मिट्टी बेचने संबंधी शिकायत भी की गई थी. लेकिन चुनावी ड्यूटी में होने का बहाना बनाकर उस समय किसी प्रकार का कोई कार्रवाई नहीं किया गया.

मिट्टी बेच देने के कारण ही नहर में स्लोप का निर्माण नही हो सका.यहां तक की तटबंधों को मजबूती देने वाला बर्म को भी काटकर समाप्त कर दिया गया. रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि अपनी कमियों को छुपाने के लिए विभाग के जूनियर इंजीनियर और एसडीओ क्षेत्र के किसानों पर उल्टा तटबंध को काट देने का भी बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने बताया कि पौरा से 5 फीट पानी छोड़ने के बाद नहर जहां-तहा से टूट रहा है. जिस वजह से मात्र 2 फीट ही पानी छोड़ा जा रहा है.पौरा से कम पानी छोड़ने के कारण बरबीघा तक तो दूर की बात है, बाजितपुर तक भी ठीक से पानी नहीं पहुंच पा रहा है.

कोचगाव के पास टूटा तटबंध

यही स्थिति अगर बरकरार रही तो बरबीघा और उसके आसपास के  सैकड़ो गांव की धान की फसल पानी के अभाव में पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी. उन्होंने कहा कि नहर के जिर्णोउद्धार में हुए भ्रष्टाचार को लेकर सीएमओ को मेल करके जांच कर कार्रवाई करने की मांग की गई है. जरूरत पड़े तो कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे.उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव हर बार पौरा से लेकर मौरा तक नहर के जीर्णोद्धार की चर्चा एक बार जरूर से होती है. रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि वर्तमान परिस्थितियों से बरबीघा विधायक सुदर्शन कुमार, नवादा के वर्तमान सांसद विवेक ठाकुर, नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार अस्थावां के विधायक जितेंद्र कुमार के अलावा अन्य लोगों को सूचित किया गया है.

सावन में सुखी नहर

लेकिन अभी तक किसी प्रकार का कोई ठोस पहल किसानों के हित में जनप्रतिनिधियों की ओर से होता नहीं दिख रहा है. जनप्रतिनिधियों का किसान के प्रति यह उदासीन रवैया बताता है कि चुनाव में सिर्फ किसानों का वोट लेने के लिए ये लोग जुमले का इस्तेमाल करते हैं.जबकि हकीकत यह है कि किसानों के वास्तविक दर्द से इन लोगों को कुछ भी लेना देना नहीं है. अगर यह सभी उचित तरीके से पहल करे तो किसानों के हर खेत तक पानी आसानी से पहुंच जाएगा

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