Barbigha:-चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया फैसला बच्चों के हित के लिए स्वागत योग्य है. इस फैसले से ऑनलाइन चाइल्ड पॉर्नोग्राफी देखने और डाउनलोड करने की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी.वही समाज में बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण के मामले भी कम होंगे. उक्त बातें बच्चों के हित के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाले कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन की सहयोगी संस्था एनिमल एंड ह्यूमन डेवलपमेंट सोशल वेलफेयर सोसाइटी के सचिव डॉ विनोद कुमार ने कहीं. डॉ विनोद कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी वीडियो पर मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चों की वल्गर वीडियो को डाउनलोड करना, देखना और उसे अपने पास रखना क्राइम है. दरअसल कुछ दिन पहले मद्रास हाईकोर्ट ने एक केस को ये कहते हुए निरस्त कर दिया था कि बच्चों की वल्गर वीडियो देखना सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत अपराध नहीं है.जिसके बाद मद्रास हाई कोर्टे के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. जिस पर सुनवाई करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के हालिया फैसले के फैसले को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने संसद को ‘बाल पोर्नोग्राफी’ शब्द
को ‘बाल यौन शोषण और अपमानजनक सामग्री’ शब्द के साथ संशोधित करने का भी सुझाव दिया और केंद्र से संशोधन लाने के लिए एक अध्यादेश लाने का अनुरोध किया.सुप्रीम कोर्ट केस फैसले की देशभर में प्रशंसा हो रही है.शेखपुरा जिल्स में पिछले कई बरसों से बाल अधिकार को लेकर काम करने वाले एनिमल एंड ह्यूमन डेवलपमेंट सोशल वेलफेयर सोसाइटी के सचिव डॉ विनोद कुमार ने भी इस फैसले को सराहनीय बताया.बताते चले कि एक्सेस तो जस्टिस के तहत संस्था शेखपुरा में वर्ष 2023 से कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन सहयोग से कार्य कर रही है.
संस्था का बाल मानव तस्करी, बाल श्रम, बाल विवाह,एवं बाल यौन शोषण रोकने की दिशा में काफी सराहनीय योगदान रहा है. डॉ विनोद कुमार ने बताया कि मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध एक जनहित याचिका देश भर के दो सौ से अधिक संस्थाओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी. आखिरकार लंबी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस पर अहम फैसला दिया गया.