Sheikhpura: बीते डेढ़ साल से एक बेटा अपने परिवार से अलग हो गया था. हालांकि उसकी मानसिक स्थिती अच्छी नहीं थी इसलिए उसके परिवार को ढूंढने में काफी परेशानी हो रही थी. इसको लेकर बाल संरक्षण इकाई के सामाजिक कार्यकर्ता श्रीनिवास कुमार की पहल पर फाइनली एक बेटा अपनी मां से डेढ़ साल बाद मिल सकेगा.
दरअसल बालकराम कुमार का असली नाम टाइगर बिंद है और वह बरबीघा थाना के किशनपुर गांव का रहने वाला है. उसके पिता का नाम स्वर्गीय बिन्दे बिंद है और उसके दो भाई दिल्ली में मजदूर का काम करते हैं.टाइगर बिंद की पहचान के लिए उसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर डाला गया था ताकि बालक की पहचान हो सके. लड़का सिर्फ अपना घर केवलबीघा शेखपुरा बताता था.
जिला बाल संरक्षण इकाई के सामाजिक कार्यकर्ता श्रीनिवास के द्वारा केवलबीघा गांव में बालक का तस्वीर दिखा कर उसके परिवार की खोज का पूरा प्रयास किया गया लेकिन वहां उसकी पहचान नहीं हो पाई, तत्पश्चात उन्होंने बालक की तस्वीर सोशल मीडिया में छपवाई ताकि उसके परिवार की पहचान हो सके. साथ ही उन्होंने अपना मोबाइल नंबर भी प्रकाशित करवाया ताकि उसके बारे में कुछ जानकारी मिल सके. आज दिल्ली से उन्हें एक व्यक्ति के द्वारा फोन किया गया और बताया गया कि वह बालक केवल बीघा नहीं बल्कि किशनपुर गांव का रहने वाला है और उसका असली नाम टाइगर बिंद है वह डेढ़ साल पूर्व गायब हो गया था और मानसिक रुप से बीमार है. उसके परिवार वाले उसका आधार कार्ड लेकर जिला बाल संरक्षण इकाई का कार्यालय शेखपुरा में उपस्थित हुए जहां से व्हाट्सएप कॉलिंग कर बालक को बाल गृह जमुई से उसके परिवार से बात कराया गया.
बालक ने अपने परिवार की पहचान कर ली है तथा परिवार वालों ने ही बालक का पहचान कर लिया गया है. अब बालक को उसके परिवार को सुपुर्द किया जाएगा. बालक को परिवार से मिलाने तथा उसके परिवार की पहचान करने में जिला बाल संरक्षण इकाई के सामाजिक कार्यकर्ता श्रीनिवास की भूमिका महत्वपूर्ण बताई जा रही है. श्रीनिवास के प्रयास से बालक को कम समय में उसका परिवार मिल सका. बालक डेढ़ साल से जमुई के बाल गृह में रह रहा था लेकिन उसका सही पता नहीं चल पाने के कारण उसे उसके परिवार तक नहीं पहुंचा जा सका था. अब उसके परिवार की पहचान हो गई है , जो कानूनी प्रक्रिया होती है उसे पूरी कर बालक को शीघ्र सुपुर्द कर दिया जाएगा. श्रीनिवास ने बताया कि बालक मानसिक रूप से अस्वस्थ है लिहाजा विभाग द्वारा उसका इलाज पटना में कराया जा रहा है जिससे उसके दिमाग की हालत काफी ठीक हुई है तत्पश्चात उसके परिवार की खोज में सहायता हुई.