Sheikhpura: शेखोपुरसराय प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत पीएचडी के संवेदक के द्वारा लगाए गए बिहार सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट नल जल की योजना को ग्रामीणों ने अपंग योजना बताया है. आलम ये है कि इस गांव में नल लग गया है लेकिन किसी को एक एक बूंद जल नसीब नहीं हो रहा है.
नल जल योजना के तहत पीएचडी के संवेदको द्वारा प्रखंड के कई गांवों में आधे अधूरे कार्य को संपन्न बताया गया है. बता दें कि प्रखंड के खुड़िया गांव में 1 वर्ष पूर्व सिर्फ़ बोरिंग कर संवेदक के द्वारा छोड़ा गया था. जिसके बाद पीएचडी के संवेदक के द्वारा नल जल का कार्य चालू तो किया परंतु कार्य को अपंग बना कर छोड़ दिया है. इस बाबत इसकी जानकारी देते हुए दोबारा ग्रामीणों ने मीडिया कर्मियों को गांव में बुलाकर अपनी समस्या को बताया है. आज भी नल जल का सिर्फ बोरिंग किया गया है और गांव के मुख्य गलियों में पाइप को बिछाकर चालू कर दिया गया है परंतु हर घर नल जल का पानी नहीं पहुंचाया जा सका है और ना ही बोरिंग प्वाइंट पर जलमिनार का निर्माण कराया गया है.
गौरतलब हो कि 1200 की आबादी वाले इस गांव में कुछ मुख्य गलियों में नल का जल गिरता है. लेकिन एक हजार से ज्यादा घरों में आज तक नल का जल नहीं पहुंच पाया है आज भी इस गांव के ग्रामीण देवी स्थान में लगे चापाकल से पीने के लिए पानी लाकर अपनी प्यास बुझाते हैं. आगे की जानकारी देते हुए ग्रामीण हरेराम सिंह, गोपेश सिंह, कुणाल सिंह, विपिन सिंह, शंभू सिंह, मानो देवी, ललिता देवी, मुन्नी देवी ने बताया की हमारे गांव में नल का जल पीने के लिए आज भी लोग लालायित हो रहे हैं परंतु संवेदक के द्वारा आधे अधूरे कार्य करके 1 वर्षों से छोड़ा गया है. ग्रामीण अपनी प्यास बुझाने के लिए किसी के निजी चापाकल से पानी लाते है. वहीं ग्रामीणों ने बताया की गांव में पीएचडी के द्वारा छः चापाकल भी गाड़े गए हैं जो कई वर्षों से बंद है. जिसकी शिकायत कई बार पीएचडी विभाग को किया गया है लेकिन चापाकल को भी मरम्मत नहीं कराया जा सका और भीषण पड़ रही गर्मी में ग्रामीणों को पानी पीने की समस्या हमेशा उत्पन्न हो रही है. ग्रामीणों ने अधिकारियों से गुहार लगाया कि पीएचडी के द्वारा लगाए गए नल जल योजना का सही तरीके से जांच कर ग्रामीणों को पीने योग्य पानी मुहैया कराएं. नल जल योजना की जांच प्रक्रिया खुड़िया गांव पहुंच कर कार्य करें और संवेदक के द्वारा नल जल का अपंग कार्य का जीता जाता स्वरूप खुड़िया में पहुंचकर जमीनी स्तर पर पीएचडी विभाग के संवेदक का कार्य देखा जाए.