ललन-चंदन-गिरिराज नहीं दिला सके अपने खास को ताज, हुआ भीतरघात या जनता ने पूरी तरह से दिया नकार, इनसाइड स्टोरी

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Desk: एमएलसी चुनाव का रिजल्ट आ चुका है. NDA लगातार दावा कर रही थी कि 24 में से 22 सीट उनकी झोली में आएगी लेकिन तेजस्वी यादव ने भूमिहार यादव और मुस्लिम समीकरण का ऐसा खेल रचा कि एनडीए चारो खाने चित्त हो गई. इन सबके बीच सबसे ज्यादा भद्द किसी नेता कि पिटी तो खुद को भूमिहार सिरमौर कहने वाले तीन नेता की और वो नाम है मुंगेर से सांसद ललन सिंह, नवादा से लोजपा पारस गुट के सांसद चंदन सिंह और भाजपा से बेगूसराय से सांसद सह भूमिहार के सबसे बड़े नेता गिरिराज सिंह.

पहले बात कर ले यदि ललन सिंह की तो उनकी कहीं नहीं चली. मुंगेर लोक सभा क्षेत्र से सांसद ललन सिंह का कहीं सिक्का नहीं चला. कहने को तो उनको होमियोपैथिक इलाज करने वाला बताया जाता है लेकिन अपने ही इलाके में वो बुरी तरह से फेल हो गए और जनप्रतिनिधियों ने उनका ही होमियोपैथिक इलाज कर दिया. यदि जदयू के हारे हुए MLC प्रत्यासी संजय प्रसाद की बात कर ले तो वो ललन सिंह के बेहद खास में शुमार किए जाते हैं. उनके लिए ललन सिंह ने पहले साल 2020 में विधानसभा के चुनाव में चकाई से उनको टिकट दिलवाया. यह जानते हुए कि वहां सुमित सिंह का पलड़ा भारी है लेकिन फिर भी वो संजय प्रसाद के लिए लगातार खड़े रहे. संजय प्रसाद को टिकट मिला लेकिन जदयू के इस फैसले से नाराज वहां के दिग्गज नेता सुमित सिंह ने निर्दलीय लड़कर संजय प्रसाद को हराकर ललन सिंह को उनकी औकात दिखा दी. खैर कमिटमेंट के पक्के ललन सिंह इसके बाद भी नहीं चेते और फिर से अपने चहेते के चक्कर में पड़ कर MLC चुवान में फिर से अपनी भद्द पिटवा दी. हालांकि ललन सिंह ने संजय प्रसाद के लिए धुआंधार कैंपेन भी किया लेकिन भीतरघात की चोट ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा.



वहीं चंदन सिंह जो कि नवादा क्षेत्र से सांसद हैं लगातार NDA प्रत्यासी के लिए बरबीघा में संजय प्रसाद के लिए और नवादा में सलमान रागिब के लिए धुआंधार कैंपेन कर रहे थे. लगातार घूम घूमकर दावा कर रहे थे कि उनका कैंडिडेट यानि जदयू के सलमान रागिब और संजय प्रसाद ही जीतेंगे लेकिन रिजल्ट आने के बाद उनके सारे दावे फुस्स हो गए. चंदन सिंह का जो भौकाल नावादा को लेकर बना हुआ था उसको निर्दलीय प्रत्यासी अशोक यादव ने ऐसा तोड़ा कि इसकी धमक उन्हें सालों तक सुनाई देगी. इस परिणाम से ये कयास जरूर लगाए जा रहे हैं कि चंदन सिंह कहने को कुछ भी कह लें लेकिन आज भी नवादा में उनका सिक्का पूरी तरह से जमा नहीं है. वो अपने दम पर एक एमएलसी की सीट भी नहीं दिलवा सकते हैं. हालांकि चंदन सिंह ने दावा किया था कि नवादा जिला में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन काफी मजबूत है और हमारे गठबंधन के जनता दल यू प्रत्याशी सलमान रागीव को भारी बहुमत से चुनाव जिताना है. स्थानीय निकाय के सभी जनप्रतिनिधियों से आग्रह होगा की आप अपना एक एक मत सलमान रागीव को देने का काम करेंगें. मुझे पूरा विश्वास है कि आप सबों के सहयोग से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन परचम लहराएगा.

सबसे बड़ा खेल तो बेगूसराय में हुआ है. वहां से सांसद गिरिराज सिंह खुद को मोदी का बेहद खास माना जाता है. कहा तो यहां तक जाता है कि गिरिराज सिंह भूमिहार के सबसे बड़े नेता हैं और तथाकथित बिहार के बीजेपी कोटे से बिहार के सीएम के दावेदार हैं. लेकिन इस एमएलसी चुनाव में वो भी बुरी तरह से फेल हो गए. कहने को लोग कुछ भी कह लें लेकिन आज भी वो उतने बड़े दिग्गज नेता नहीं हुए हैं कि वो अपने प्रभाव से एक MLC का सीट जितवा सकते हैं. बेगूसराय-खगड़िया विधान परिषद चुनाव की मतगणना में कांग्रेस उम्मीदवार राजीव कुमार ने जीत दर्ज कर ली. हालांकि वहां एनडीए खेमे में भीतरघात की खूब चर्चा हो रही है. एक तस्वीर भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. बीजेपी के लिए दुखद ये है कि जिस कांग्रेस पर गिरिराज सिंह हमलावर रहते हैं उसी कांग्रेस को MLC चुनाव में एकमात्र सीट मिली है वो भी गिरिराज सिंह के गढ़ में. राजनीतिक जानकारों की मानें तो लोकसभा चुनाव के दौरान गिरिराज सिंह को जब भाजपा का उम्मीदवार बेगूसराय सीट से घोषित किया गया था, उस समय रजनीश कुमार की ओर से भितरघात करने की बात कही गई थी. अब रजनीश कुमार को जब एनडीए ने विधान परिषद चुनाव को लेकर बेगूसराय खगड़िया से उम्मीदवार बनाया तो रजनीश कुमार को भी भितरघात का सामना करना पड़ा. 2020 विधानसभा चुनाव में भी गिरिराज सिंह हावी रहे और अपने नजदीकी कुंदन कुमार को बेगूसराय सदर से भाजपा का ना सिर्फ टिकट दिलाया, बल्कि भाजपा में भितरघात के बावजूद कुंदन कुमार को बेगूसराय सीट से जीत मिली थी.

कुल मिलाकर निचोड़ ये है कि NDA के प्रमुख घटक दल बीजेपी, जदयू और लोजपा पारस गुट के दिगग्जों को अपने अपने क्षेत्र में MLC चुनाव में प्रत्यासियों की करारी हार के बाद मुंह की खानी पड़ी है. सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि खुद को भूमिहारों का सबसे बड़ा नेता मानने वाले तीनों नेताओं को उनकी औकात का अंदाजा लग गया है.

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