*जयंती पर श्रद्धा पूर्वक याद किए गए महान दानवीर भामाशाह..बरबीघा के विधायक ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया नमन*

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Barbigha:महान दानवीर तथा साहू समाज के प्रेरणा स्रोत भामाशाह को उनकी जयंती पर शनिवार को श्रद्धापूर्वक याद किया.बरबीघा नगर क्षेत्र के तैलिक बालिका उच्च विद्यालय के प्रांगण में जयंती पर एक संक्षिप्त कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रुप में बरबीघा के वर्तमान विधायक सुदर्शन कुमार जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में नगर सभापति उम्मीदवार संतोष कुमार शंकु शामिल हुए. सभी के द्वारा विद्यालय के प्रांगण में स्थापित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया गया.

जयंती पर भामाशाह को याद करते हुए विधायक ने कहां जब मेवाड़ के रक्षक महाराणा प्रताप को विस्थापित जीवन जीना पड़ रहा था, तब वैसे समय मे महाराणा प्रताप के प्रिय मित्र साहू वंशज दानवीर भामाशाह (भारमल) ने महाराणा प्रताप और उनके सैनिकों के लिये अपना अन्न-धन का द्वार खोल दिए थे.उन्होंने कहा की जब जब राणा का भाला चर्चा में आएगा तब तब भामाशाह का दान की भी चर्चा होगी.आज उस महान दानवीर भामाशाह का जन्मदिवस है जिन्होने अपनी जमा पूँजी को उस समय धर्ममार्ग पर दान कर दिया था.देश रक्षा के लिए महाराणा प्रताप के चरणों में अपनी सब जमा पूँजी अर्पित करने वाले दानवीर भामाशाह का जन्म अलवर (राजस्थान) में 23 अप्रैल 1547 को हुआ था.उनके पिता भारमल्ल तथा माता कर्पूरदेवी थीं.भारमल्ल राणा साँगा के समय रणथम्भौर के किलेदार थे.अपने पिता की तरह भामाशाह भी राणा परिवार के लिए समर्पित थे. एक समय ऐसा आया जब अकबर से लड़ते हुए राणा प्रताप को अपनी प्राणप्रिय मातृभूमि का त्याग करना पड़ा.वे अपने परिवार सहित जंगलों में रह रहे थे.महलों में रहने और सोने चाँदी के बरतनों में स्वादिष्ट भोजन करने वाले महाराणा के परिवार को अपार कष्ट उठाने पड़ रहे थे.राणा को बस एक ही चिन्ता थी कि किस प्रकार फिर से सेना जुटाएँ,जिससे अपने देश को मुगल आक्रमणकारियों से चंगुल से मुक्त करा सकें. ऐसे समय में भामाशाह ने महाराणा प्रताप की सभी तरीके से मदद कर अपना सर्वस्व दान कर दिया था. तब से ही वे महान दानवीर कहे जाते हैं. इस मौके पर पूर्व वार्ड पार्षद संजीत कुमार सुजीत कुमार दयानंद मालाकार लोग उपस्थित थे



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