तबेले में संचालित हो रहा आंगनबाड़ी केंद्र, विभाग बना उदासीन, जांच के दौरान पोशाक घोटाला की बात भी आई सामने

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Sheikhpura:  बरबीघा प्रखंड में सीडीपीओ तृप्ति सिंहा के कार्यकाल में आंगनबाड़ी व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. लगातार वसूली करने का आरोप झेल रही सीडीपीओ का कार्यकाल विवादों से भरा रहा है. इन्हीं की उदासीनता का नतीजा है कि आज एक आंगनबाड़ी केंद्र को तबेले में संचालित करना पड़ रहा है. दरअसल बरबीघा नगर क्षेत्र के शेरपर गांव में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 83 में पढ़ने वाले बच्चों को तबेले में बैठा जा रहा है. यही नहीं सेविका भी हफ्ते में एक आध बार वहां पहुंचती है. बच्चों को पढ़ाने से लेकर खिलाने तक का जिम्मा सहायिका ही निभा रही है. तबेले के चारों तरफ जंगल झाड़ होने के कारण सांप बिच्छू के डंक से कभी भी किसी भी पल बच्चे की जान भी जाने की संभावना बनी हुई है. पूछे जाने पर सहायिका सरुण कुमारी ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया.

उन्होंने बताया कि पूर्व में जिस भवन में आंगनबाड़ी संचालित हो रहा था उस भवन का किराया विभाग बरसों से भुगतान नहीं किया है. आजीज जाकर मकान मालिक तथा पूर्व सेविका कमला देवी ने भवन में ताला मार दिया है. बच्चों की पाठ्य सामग्री भी उसी भवन में बंद है. सहायिका बच्चों को घर से लाती जरूर है,लेकिन सिर्फ चार घंटे तक खूंटे से बांधकर पशु की भांति बच्चों को रखती है. इसके बाद बिना पढ़ाई लिखाई करवाएं खाना खिला कर बच्चों वापस घर भेज देती है. वही इस संबंध में प्रभारी सेविका मुन्नी कुमारी ने बताया कि इस बात से विभाग को अवगत करा दिया गया है. लेकिन अभी तक किसी प्रकार का कोई ठोस पहल नहीं किया गया. वहीं ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से इस मामले पर संज्ञान लेते हुए जल्द से जल्द ठोस व्यवस्था करवाने का मांग किया है.



जांच के दौरान पोशाक की राशि का बंदरबांट का भी हुआ खुलासा

यही नहीं मीडिया कर्मियों के जांच में एक माह पूर्व पोशाक के लिए बच्चों के अभिभावकों के खाते पर भेजे जाने वाले राशि को लेकर भी बड़ा खुलासा हुआ. सेविका ने बताया कि सीडीपीओ के आदेशानुसार ही बच्चों अभिभावकों के खाते में पोशाक की राशि ना भेजकर बाजार से पोशाक खरीद कर दे दिया गया है. सेविका ने यह भी बताया कि पूरे प्रखंड के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को बाजार से पोशाक खरीद कर दिया गया है. सेविका के इस बातों से साफ जाहिर था कि सीडीपीओ तृप्ति सिंहा ने सरकारी आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाई है. ऐसा माना जा रहा है कि इस प्रक्रिया को करने के लिए सीडीपीओ ने तमाम आंगनबाड़ी सेविकाओं पर दबाव डाला था ताकि एक मोटी रकम वसूली जा सके. पोशाक घोटाला के मामले में सीडीपीओ के ऊपर जांच भी बैठ चुका है. जिलाधिकारी अगर सही तरीके से इस मामले की जांच करवाते हैं तो एक बहुत बड़ा घोटाला सामने आ सकता है.

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