जब बुलेट से हार गया था बैलट का अपराजय योद्धा.. 3 दिन तक चाह रहा था पूरी तरह से बंद..17वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धा पूर्वक याद किए गए राजो सिंह

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Barbigha:-छः बार के विधायक और दो बार सांसद रहने वाले शेखपुरा जिले के निर्माता स्वर्गीय राजो सिंह को 17वी पुण्यतिथि पर श्रद्धापूर्वक याद किया गया. उनके पौत्र तथा वर्तमान में बरबीघा से जदयू के विधायक सुदर्शन कुमार की अगुवाई में सभी दलों के लोगों ने मिलकर उन्हें श्रद्धांजलि दिया.पुण्यतिथि के अवसर पर शेखपुरा नगर परिषद क्षेत्र के स्व०राजो सिंह सेवा सदन में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया था. अपने बाबा को याद करते हुए विधायक सुदर्शन कुमार ने कहा कि उन्होंने हमेशा जनता के हित में राजनीति किया था. जनता और क्षेत्र के विकास के लिए सदैव तत्पर रहने वाले लोगों के बीच काफी लोकप्रिय स्वर्गीय राजो बाबू जैसा नेता शेखपुरा में ना तो

पहले कभी हुआ था ना आगे कभी होगा.जिलेभर के राजनीतिज्ञ आज भी उन्हें अपना आदर्श मानते हुए उन्हें याद करते हैं. मैं भी उन्हीं के बनाए रास्ते पर चलकर लोगों की सेवा में दिन-रात जुड़ा हुआ हूं. कार्यक्रम में शेखपुरा पूर्वी जिला परिषद रघुनंदन सुदर्शन कुमार के भाई सत्यजीत कुमार जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष जितेंद्र नाथ पूर्व जिला अध्यक्ष डॉ अर्जुन प्रसाद देवेंद्र ठाकुर चंद्रभूषण कुशवाहा सहित कई वरिष्ठ लोगों ने उनकी राजनीतिक जीवन पर प्रकाश डाला.



पुण्यतिथि पर विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ उपस्थित विधायक सुदर्शन कुमार

जब बाइक सवार अपराधियों ने गोली मारकर कर दी थी हत्या

नौ सितंबर 2005 की उस मनहूस शाम को कौन भूल सकता है जब बाइक सवार अपराधियों ने स्वर्गीय राजो बाबू की गोली मारकर हत्या कर दी थी. घटना के दिन संध्या में करीब सात बज रहे थे.राजो बाबू आजाद हिंद आश्रम में बैठकर सरकारी कर्मियों के साथ क्षेत्र की समस्याओं पर चर्चा कर रहे थे. जानकार बताते हैं कि घटना के वक्त एक बाइक पर सवार होकर तीन बदमाश आये और राजो बाबू के सीने में गोली मार दी थी. समीप से गोली चलाने के कारण घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई थी.राजो बाबू से मिलने आये एक सरकारी कर्मी की भी बदमाशों की गोली लगने से मौत हो गई थी.घटना के वक्त आजाद हिंद आश्रम में मौजूद उस समय कांग्रेस के जिलाध्यक्ष शिवशंकर महतो ने छत से कूदकर अपनी जान बचाई थी.

स्व० राजो बाबू को नमन करते विधायक सुदर्शन कुमार

उनके रहते विधानसभा चुनाव में विरोधियों का जितना था मुश्किल

जिसमें उनकी हत्या हुई उस समय विधानसभा चुनाव बेहद नजदीक था.राजनीतिक गलियारे में उस समय जोरों की चर्चा थी कि समीप ही विधानसभा चुनाव होने वाला है और राजो बाबू के जीवित रहते किसी अन्य का जीतना नामुमकिन है.राजनीतिक नफा-नुकसान को लेकर ही उनकी हत्या की गई.हालांकि हत्या का दूसरा कारण टाटी नरसंहार से भी जोड़कर उस समय देखा गया था.राजो बाबु की हत्या खबर फैलने के बाद शहर का बाजार पूरी तरह से बंद हो गया था.सड़कों पर बिरानी सी छा गए थी.उनकी हत्या के बाद लोग कहते थे कि के बैलेट का अपराजेय योद्धा कहे जाने वाले राजो बाबू बुलेट से हार गए.

 

 

 

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