बरबीघा:- प्रखंड कार्यालय के सभागार भवन में शुक्रवार को यूनिसेफ के तत्वाधान में मानसिक स्वास्थ्य विषय पर एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन यूनिसेफ एवं उसके सहयोगी संस्था आइडिया, जन जागरण संस्था एवं सीसीएसटी के जिला समन्वयक संस्था एनिमल एंड हुमन डेवलपमेंट सोशल वेलफेयर सोसाइटी के संयुक्त तत्वाधान में किया गया.
मानसिक स्वास्थ्य विषय पर आयोजित इस परिचर्चा में मुख्य अतिथि के रुप में जिले के सिविल सर्जन डॉक्टर पृथ्वीराज शामिल हुए. वहीं विशिष्ट अतिथि के रुप में रेफरल अस्पताल बरबीघा के चिकित्सक पदाधिकारी डॉ आनंद डाटा एंट्री ऑपरेटर संदीप भारती, आइडिया के स्टेट कोऑर्डिनेटर मोहम्मद शाहरुख जफर, सीसीएचटी के स्टेट हेड बाय के गौतम, सेव द चिल्ड्रन के जिला कोऑर्डिनेटर मोहम्मद आरिफ हुसैन,प्रखंड कोडिनेटर ब्यूटी कुमारी राष्ट्रीय जन पार्टी के जिला अध्यक्ष गोपाल कुमार सहित कई पंचायतों के मुखिया उपस्थित हुए. मुख्य अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का स्वागत किया. इसके बाद डॉ विनोद कुमार और दीपक कुमार के द्वारा मुख्य अतिथियों को गुलदस्ता और शॉल देकर सम्मानित किया गय.मुख्य अतिथियो के द्वारा मानसिक स्वास्थ्य पर कुशल युवा कार्यक्रम से प्रशिक्षित हो रहे युवाओं एवं विभिन्न पंचायतों से आए विकास मित्र वार्ड सदस्यों के बीच चर्चा किया गया. इस मौके पर कोऑर्डिनेटर शिक्षक मौसम कुमारी, गुलशन कुमारी, स्वाति कुमारी, राहुल गोस्वामी,कल्याणी कुमारी सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे. इस अवसर पर युवाओं को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ पृथ्वीराज ने बताया गया कि समाज में आत्महत्या का दर दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है.जिसके मद्देनजर संस्था द्वारा यह कार्य बहुत ही काबिले तारीफ है.दिए गए सुझावों से युवाओं एवं हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की यह पहल मील का पत्थर साबित होगी. उन्होंने बताया कि आज के युवा अति महत्वकांक्षी होते जा रहे है. जिस वजह से वे मानसिक दबाव में आकर कोई फैसले लेते हैं. इसके बाद आशातीत सफलता नहीं मिलने के कारण कई युवा मानसिक दबाव में आकर आत्महत्या तक कर लेते हैं. उन्होंने उपस्थित युवाओं को दिवंगत राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी से सीख लेकर जीवन में निरंतर बिना किसी मानसिक दबाव के आगे बढ़ने का सलाह दिया. इसके अलावा उन्होंने कहा कि मनुष्य को जीवन में कभी भी किसी भी परिस्थिति में निराश नहीं होना चाहिए.सुख और दुख जीवन के दो पहलू हैं.दुख में भी बेहतरीन जिंदगी जीने वाला इंसान दुनिया का सबसे सुखी इंसान होता है.