खेत में पराली जलाने वाले किसान पर कार्यवाई हुई शुरू..एक किसान का तीन साल के लिए पंजीकरण हुआ रद्द

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बरबीघा:-खेत में पराली जलाने वाले किसानों पर बरबीघा प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने कार्रवाई शुरू कर दी है.इस संबंध में उन्होंने बताया कि कृषि समन्वयक और किसान सलाहकार के द्वारा लगातार क्षेत्र में किसानों को खेतों में पराली न जलाने को लेकर जागरूक किया जा रहा है. इसके बावजूद कहीं कहीं से लगातार शिकायतें मिल रही कि किसान खेत में पराली जला रहे हैं.ऐसा ही मामला बरबीघा प्रखंड के तेउस गांव से भी सामने आया था.

जिस पर जांच पड़ताल करते हुए किसान महेश सिंह के पुत्र कन्हैया कुमार का किसान पंजीकरण अगले तीन साल तक के लिए रद्द कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि जिस किसान का किसान पंजीकरण रद्द हो जाएगा वे किसी भी प्रकार का सरकारी अनुदान का लाभ नहीं ले पाएंगे.उन्होंने कहा कि बरबीघा प्रखंड के सभी पंचायतों के अलावा नगर क्षेत्र के किसानों से भी खेत में पराली न जलाने को लेकर आग्रह किया गया है. इसको लेकर कृषि समन्वयक और किसान सलाहकार लगातार क्षेत्र में जागरूकता अभियान चला रहे हैं.नेट



कंबाइन मशीनों से कटाई के कारण बच रही पराली

बरबीघा प्रखंड के सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इन दिनों धान की कटाई तेजी से शुरू हो गई है. कहीं-कहीं किसान लेबर के माध्यम से तो कहीं कंबाइन मशीन से भी खेतों में लगे धान की फसल काटी जा रही है. धान की कटाई को देखते हुए पदाधिकारियों ने पहले से ही सख्त आदेश दिया है कि कोई भी किसान पराली को खेत में ना जलाएं. अगर कोई किसान खेत में पराली चलाते हुए पाए जाते हैं या उनकी शिकायत मिलती है तो जांच पड़ताल कर उचित कार्रवाई की जाएगी.बालाजी

पराली जलाने से खेतों को होता है नुकसान

प्रखंड कृषि पदाधिकारी अरुण कुमार मिश्र ने बताया कि खेतों में बचे अवशेष पराली को जलाने से पर्यावरण तो दूषित होता ही है साथ साथ खेतों के पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि खेतों में पराली का अवशेष को जलाने पर जमीन के 70% माइक्रो न्यूट्रिएंट के नुकसान की भरपाई नहीं हो पाती है. इससे खेतों की मिट्टी की जैविक गुणवत्ता व उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है.पराली में आग लगाने से क्षेत्र में मौजूद कई उपयोगी बैक्टीरिया और कीट भी नष्ट हो जाते हैं.जिससे आने वाले फसलों को काफी नुकसान भी होता है.

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