संवाददाता बरबीघा. जिलाधिकारी सावन कुमार के लाख प्रयासों के बावजूद जिले में दाखिल खारिज की स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती है.अकेले बरबीघा अंचल कार्यालय में नौ सौ से अधिक दाखिल- खारिज महीनों से पेंडिंग पड़ा हुआ है.दाखिल- खारिज का काम करवाने के लिए लोग महीनों तक कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. अत्यधिक पेंडिंग को लेकर राजस्व अधिकारी सर्वेश कुमार ने बताया कि कर्मचारी की कमी की वजह से
काम की गति धीमी है. बरबीघा प्रखंड में नगर परिषद क्षेत्र और नौ पंचायत मिलाकर कुल दस हलका है.नियम अनुसार सभी हलका में अलग-अलग करमचारी की व्यवस्था होनी चाहिए. पहले एक कर्मचारी के सहारे कार्य चल रहा था.लेकिन हाल ही में पांच और कर्मचारियों की नियुक्ति हुई है. कुल छः कर्मचारियों में से तीन कर्मचारी काम कर रहे हैं. जबकि दो को जल्द ही प्रभार दे दिया जाएगा. वहीं, एक कर्मचारी अभी ट्रेनिंग पीरियड में चल रहे हैं. राजस्व कर्मचारी ने बताया कि सामान्यता एक दाखिल खारिज को 35 दिन के अंदर निपटाना होता है.किसी प्रकार का कोई आपत्ति या विवाद की स्थिति में उसे 75 दिनों में निपटाना होता है. दूसरी तरफ रसीद कटाने और दाखिल खारिज करवाने पहुंचे रंजीत कुमार, मुकेश कुमार आदि ने बताया कि जानबूझकर दाखिल खारिज जमाबंदी और रसीद काटने का अटकाया जाता है. यही नहीं उन लोगों ने आरोप लगाया कि दाखिल खारिज के नाम पर कर्मचारियों द्वारा मोटी रकम की वसूली की जाती है. रसीद काटने के नाम पर भी जब तक लोग घुस नहीं देते तब तक रसीद नहीं कटता है.जो लोग घूस देते हैं उनका काम बिना किसी रूकावट के तुरंत हो जाता है.वहीं दूसरी तरफ अंचलाधिकारी भुवनेश्वर यादव और राजस्व अधिकारी सर्वेश कुमार ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया. अधिकारियों ने बताया कि एक महीने के अंदर पेंडिंग पड़े कार्यो में तेजी से कमी आने लगेगी. राजस्व अधिकारी ने बताया बरबीघा प्रखंड में लगभग 50,000 जमाबंदी है. इन जमाबंदी से एक साल में लगभग एक करोड़ रुपये का लगान वसूलने का लक्ष्य सरकार द्वारा दिया जाता है. लेकिन कर्मचारियों और अधिकारियों के लाख प्रयास के बावजूद 10 प्रतिशत लगान भी वसूल नहीं हो पाता है. इसके अलावा अंचल कार्यालय में पांच किरानी की आवश्यकता है.जिसमें से मात्र चार ही उपलब्ध है. उपलब्ध चार में से एक किरानी डीसीएलआर ऑफिस में प्रतिनियुक्त है.