बरबीघा:-अंचल कार्यालय बरबीघा में व्याप्त भ्रष्टाचार और म्यूटेशन को लेकर छपी खबर पर जिला प्रशासन द्वारा संज्ञान लेते हुए इसकी जांच पड़ताल करवाई गई.हालांकि जांच के लिए पहुंचे डीडीसी अरुण कुमार झा और एसडीओ निशांत राज ने इसे रूटीन जांच बताया. जांच के दौरान म्यूटेशन के काम में छपी खबर के मुताबिक बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाई गई. उन्होंने कहा कि अंचल
कार्यालय में लगभग नौ सौ से अधिक म्यूटेशन पेंडिंग के लिए अंचलाधिकारी भी जिम्मेदार हैं. उन्होंने बताया कि कुछ मोटेशन को बिना ठीक से जांच पड़ताल अनुचित तरीके से भी रिजेक्ट करने का मामला प्रकाश में आया है.अगर सही से जांच पड़ताल होता तो बहुत सारे म्यूटेशन रिजेक्ट नहीं हो पाते.इसके अलावा कर्मचारियों के द्वारा म्यूटेशन से संबंधित प्रतिवेदन एक सप्ताह के बदले 60 से 70 दिनों में दिया जा रहा है.अंचला अधिकारी के द्वारा भी इस संबंध में कर्मचारियों पर किसी प्रकार का कोई लगाम नहीं लगाया गया. कुछ म्यूटेशन को रिजेक्ट करने के मामले में अंचलाधिकारी भुवनेश्वर यादव की भूमिका भी संदिग्ध प्रतीत होती है. उन्होंने बताया कि अंचलाधिकारी ने जो कुछ म्यूटेशन किया वह समय सीमा के बाद किया है.अंचलाधिकारी को कड़ी फटकार लगाते हुए तय समय पर म्यूटेशन के कार्यों को निपटाने का आदेश दिया गया है. इसके अलावा रजिस्टर मेंटेनेंस में भी व्यापक पैमाने पर कमी पाई गई है.समय पर लोगों का रसीद कटे इसके लिए राजस्व पदाधिकारी के साथ साथ सभी कर्मचारी को कड़ा दिशा निर्देश दिया गया है. वहीं पंचायत भवन में कर्मचारियों द्वारा शिविर लगाकर रसीद काटने के बदले निजी भवन में इस कार्य को संचालित करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह बेहद खेद जनक बात है. सभी पंचायत के सरकारी भवन में तमाम तरह की सुविधाएं उपलब्ध है. इसलिए कर्मचारियों को भी पंचायत में शिविर लगाकर रसीदें काटने संबंधी कार्यों को करने के लिए आदेशित किया गया है. डीडीसी ने बताया कि तमाम कमियों का एक रिपोर्ट जिलाधिकारी को ही सौंपा जाएगा ताकि उस पर आवश्यक कार्यवाई किया जा सके. बताते चलें कि 3 दिन पूर्व प्रभात खबर शेखपुरा लाइव में इन सभी कमियों को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी.उस समय कुछ किसानों ने भी आरोप लगाया था कि पैसा देने वालों का म्यूटेशन तुरंत हो जाता है.जो लोग राशि का भुगतान नहीं करते उनका म्यूटेशन में किसी ना किसी प्रकार का अड़चन लगाकर रिजेक्ट कर दिया जाता है.