शेखपुरा जिले के राजद और जदयू के विधायकों का बढ़ा कद..सुदर्शन कुमार एक जबकि विजय सम्राट दो विश्वविद्यालय के बने सदस्य

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Sheikhpura:-शेखपुरा जिले के राजद विधायक विजय सम्राट और बरबीघा विधायक सुदर्शन कुमार को सरकार द्वारा नई जिम्मेदारी दी गई है. दोनों ही विधायकों को अलग-अलग विश्वविद्यालय का सीनेट सदस्य बनाया गया है. बिहार विधानसभा के उप सचिव द्वारा जारी किए गए पत्र के अनुसार विजय सम्राट को पटना विश्वविद्यालय के साथ-साथ मुंगेर विश्वविद्यालय केशवपुरा विधानसभा का भी सीनेट सदस्य बनाया गया है. वही सुदर्शन कुमार को

मुंगेर विश्वविद्यालय के लिए बरबीघा विधानसभा का सीनेट सदस्य बनाया गया है.नियुक्ति के बाद दोनों ही विधायकों ने कहा कि जिले में विश्वविद्यालय स्तर पर हो रहे शिक्षा समस्याओं को पटरी पर लाना उनकी पहली प्राथमिकता में शामिल रहेगा.विद्यार्थियों के हित के साथ-साथ महाविद्यालयों में होने वाली कमियां और भ्रष्टाचार को लेकर भी आवाज बुलंद की जाएगी. गौरतलब हो कि दोनों विधायक लगातार जिले में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर पहल कर रहे हैं. ऐसे में दोनों विधायकों का सीनेट सदस्य बनने से विश्वविद्यालय स्तर पर हो रही शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलने की पूरी संभावना है. बताते चलें कि मुंगेर विश्वविद्यालय में लेट सत्र को लेकर लगातार हंगामा होते रहता है. ऐसे में जिले भर के विद्यार्थियों को दोनों में विधायकों से काफी उम्मीदें होंगी.



सीनेट सदस्यों द्वारा किए जाने वाले कार्य और उनके कर्तव्य

1.विश्वविद्यालय के अधिकारियों को उन सभी क्षेत्रों और डोमेन में सुधार के लिए सुझाव देना जो विश्वविद्यालय का एक अभिन्न अंग हैं, अर्थात् शिक्षा, अनुसंधान और विकास, प्रशासन और शासन;
2.वर्तमान शैक्षणिक कार्यक्रमों और सहयोगी कार्यक्रमों की समीक्षा करने के लिए; उच्च शिक्षा में सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप नए शैक्षणिक कार्यक्रमों का सुझाव देना;
3.विश्वविद्यालय के सुधार और विकास के उपाय सुझाना;
प्रबंधन परिषद की सिफारिश पर, मानद डिग्री या अन्य शैक्षणिक विशिष्टताएं प्रदान करना;
4.विश्वविद्यालय की व्यापक नीतियों और कार्यक्रमों की समीक्षा करना और इसके सुधार और विकास के उपाय सुझाना;
5.वार्षिक वित्तीय अनुमान (बजट), वार्षिक रिपोर्ट, लेखा, लेखापरीक्षा रिपोर्ट और उनके संतोषजनक अनुपालन के साथ-साथ लेखापरीक्षक द्वारा प्रमाणन और विश्वविद्यालय द्वारा इस संबंध में अनुशासनात्मक या अन्यथा की गई कार्रवाई रिपोर्ट प्राप्त करना, चर्चा करना और अनुमोदित करना;
6.अकादमिक परिषद द्वारा अनुशंसित उच्च शिक्षा के कॉलेजों और संस्थानों के स्थान के लिए व्यापक परिप्रेक्ष्य योजना और वार्षिक योजना को मंजूरी देना;
विश्वविद्यालय के कुलसचिव द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली छात्रों की शिकायत निवारण रिपोर्ट की समीक्षा करना और उसे अपनाना;
7.संबंधित निदेशकों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले छात्र विकास बोर्ड और खेल बोर्ड की रिपोर्टों की समीक्षा करना और उन्हें अपनाना;
8.विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण, खेल, सांस्कृतिक गतिविधियों के क्षेत्र और डोमेन में किए जा सकने वाले सुधारों पर विश्वविद्यालय के अधिकारियों को सुझाव देना;
विधियों को बनाना, संशोधित करना या निरस्त करना।

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