पुरैना गांव में जमीन विवाद में हुए 3 हत्याओं के बाद पुलिस ने बढ़ाई सुरक्षा दोनों पक्षों से अधिकांश लोग फरार

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Sheikhpura:-कोरमा थाना क्षेत्र के पुरैना गांव में शनिवार को हुए खुनी झड़प में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि एक अन्य की हालत काफी गंभीर बनी हुई है। इस घटना के बाद से गांव में दोनों पक्ष में तनाव का माहौल बना हुआ है। दशहत का आलम ये है दोनों पक्ष के घरों से अधिकांश मर्द फरार हो चुके हैं।

घर में सिर्फ आंसू बहाती महिलाएं व बच्चें मिलेंगे। हालांकि मुख्य सड़क पर इक्के-दुक्के वाहन चलते नजर आते है, बाकी गांव की गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव में तनाव को देखते हुए शेखपुरा पुलिस कैंप कर रही है और सड़कों एवं गलियों में दिन-रात गश्ती कर रही है। जमीनी विवाद में शुरू हुए खुनी झड़प में एक पक्ष से रामेश्वर यादव के 50 वर्षीय पुत्र अदालत यादव की मौत हो चुकी है, जबकि भाई रामबिलास यादव एवं बिशुनी यादव के पुत्र श्यामदेव यादव का इलाज गंभीर अवस्था में पावापुरी में चल रहा है। जबकि दूसरे पक्ष के रामस्वरूप यादव के 55 वर्षीय पुत्र रामप्रवेश यादव एवं उनके बड़े पुत्र सार्जन यादव की पिट-पीटकर हत्या कर दी गयी एवं छोटे पुत्र रबिश कुमार का इलाज गंभीरावस्था में जमुई के निजी अस्पताल में किया जा रहा है। इस मामले अबतक एक पक्ष के तीन लोगों को गिरफ्तार किया जा चूका है। कोरमा थानाध्यक्ष नितीश कुमार के अनुसार इस मामले में अब तक रामस्वरूप यादव के पुत्र पशुपति यादव एवं उनके पुत्र देवन यादव और मृतक रामप्रवेश यादव के पुत्र पंकज यादव की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है। इस संबंध में उन्होंने बताया कि एक पक्ष पंकज यादव के बयान पर 16 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है, जबकि दूसरे पक्ष से रामबिलास यादव ने 7 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया है। सबसे विकट समस्या उस वक़्त हुई ज़ब मृतक रामप्रवेश यादव के दाह-संस्कार के लिए मुखाग्नि देने के लिए कोई नही बचा है। क्योंकि रामप्रवेश यादव के बड़े पुत्र सार्जन यादव की मौत हो चुकी थी और छोटा पुत्र गंभीर अवस्था में अस्पताल में पड़ा हुआ था। ऐसे में ग्रामीणों ने मँझले पुत्र पंकज यादव को रिहा करने की मांग को लेकर हंगामा करने लगा। बावजूद देर रात पंकज यादव को पुलिस ने जेल भेज दिया है। वहीं गांव वालों ने आक्रोश जताते हुए बताया कि अगर पुलिस गोलीबारी की घटना को गंभीरता पूर्वक लेती तो रामप्रवेश यादव एवं सार्जन यादव की हत्या पिट-पिटकर नहीं हुई होती।



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