(शेखोपुर सराय से अमित कुमार की रिपोर्ट)शेखोपुर सराय प्रखंड के पांची गांव में स्थित सरकारी प्राइमरी विद्यालय और सरकारी उच्च विद्यालय दोनों विद्यालय का संचालन एक ही स्कूल कोड से वर्षो से संचालित किया जा रहा है. इस बात को खुद विद्यालय के प्रभारी ने ही कैमरे के सामने स्वीकार किया है.बिहार सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए करती ताकि सरकारी विद्यालय में विद्यार्थियों का भविष्य उज्जवल हो सके. लेकिन इस गांव की शिक्षा व्यवस्था लाखों रुपए महीना खर्च करने के बाद भी बेहद ही दयनीय स्थिति में है.
गौरतलब हो कि उच्च विद्यालय में लगभग सात सौ छात्र नामांकित है. परन्तु उच्य स्तरीय शिक्षा देने वाले शिक्षक एक भी नहीं है.प्राइमरी विद्यालय के ही शिक्षक नौवीं और दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों का पठन पाठन कार्य येन केन कर रहे हैं.जिससे विद्यार्थियों का भविष्य कई वर्षों से अंधकार में डूबा हुआ है. इस बाबत जब मीडिया कर्मी ने प्रभारी से बात किया तो उन्होंने साफ़ कहा की कई बार यह खब सुर्खियों में रहा लेकिन आज तक मेरा कुछ नहीं बिगड़ा.जैसे विद्यालय का संचालन किया जा रहा है वैसे ही चलता रहेगा. जब प्रभारी से दसवीं कक्षा का प्रश्न पूछा गया तो उन्होंने विपरीत जवाब दिया. जबकि अन्य शिक्षकों से प्रश्न पूछा गया तो प्रभारी के मौजूदगी में थर्सडे का स्पेलिंग सही से नहीं बता पाए.
विभाग के द्वारा संचालित स्मार्ट क्लास में योग्य शिक्षक नहीं होने के कारण पढ़ाई बाधित है. प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका रेणु सिन्हा से संज्ञा, सर्वनाम, वर्ण के साथ साथ थर्सडे का हिज्जे पूछा तो वो बताने असमर्थ रही.वही प्रभारी प्रफुल कुमार ने बताया की वे दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों को साइंस पढ़ाते हैं. इस पर जब उनसे प्रजनन किसे कहा जाता है?पूछा गया तो प्रभारी ने बताया की प्रजनन चरण को कहा जाता है. इंग्लिश में भी उनका हालत काफी खराब पाया गया. अब जरा सोचिए नौवीं और दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों का भविष्य ऐसे शिक्षक कैसे सवांरेगे.एक तरफ बिहार के सीएम नीतीश कुमार
कहते हैं कि शिक्षक विद्यालय में नहीं पढ़ाएंगे तो किया उन्हें हम बैठा कर पैसा देंगें. लेकिन बिहार में आज भी ऐसे ऐसे शिक्षक है जो बच्चों का भविष्य बंटाधार करने में जुटे हुए हैं.मौके पर मौजूद दर्जनों ग्रामीणों ने गुहार लगाया कि जिलाधिकारी महोदय एक बार इस सरकारी विद्यालय की विधि व्यवस्था को अवश्य देखें ताकि शिक्षा से पिछड़ा रहा यह गांव शिक्षा के लिए आगे आ सके.