Barbigha:-बिहार और मुंबई के कलाकारों के द्वारा पिछले दो दिनों से बरबीघा के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लघु फिल्म की शूटिंग की जा रही है.कर्मा और बांसघाट लघु फिल्म की शूटिंग में बिहारी और स्थानीय कलाकार के साथ साथ मुंबई के कलाकार भूमिका निभा रहे हैं.रविवार को भी दिनभर बरबीघा के रेफरल अस्पताल में फिल्म की शूटिंग की गई. शूटिंग की शुरुआत शनिवार को संत मैरी स्कूल के प्रांगण से हुई थी.
जिसका शुभारंभ पुलिस कप्तान कार्तिकेय शर्मा के द्वारा किया गया था.बांसघाट फिल्म में लीड रोल निभा रहे अमित रंजन बरबीघा प्रखंड के ही धरसेनी गांव के निवासी है. अमित रंजन वेब सीरीज आश्रम-3 में भी काम कर चुके हैं.अमित रंजन ने बताया कि फिल्म के डायरेक्टर ललित झा है.ललित झा बॉलीवुड के जाने-माने निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा के बैनर तले बनी फिल्म चक्रव्यूह, राजनीति, गंगाजल जैसी फिल्मों में भी असिस्टेंट डायरेक्टर की भूमिका निभा चुके हैं.
दोनों फिल्मों में मुंबई के कलाकार आरती सिंह, रमेश सिंह के साथ-साथ स्थानीय बाल कलाकार श्रेयांश और विराट के अलावा राजू कुमार प्रवीण कुमार सहित अन्य लोग भी अभिनय कर रहे है.अमित रंजन ने बताया कि बांस घाट बिहार में ईट भट्ठा पर काम करने वाले मजदूरों की बेबसी पर बनाई गई जा रही एक लघु फिल्म है. उन्होंने बताया कि निश्चित तौर पर यह एक कालजई फिल्म होगी.
लोगों को पसंद आने के साथ-साथ यह अवॉर्ड विनिंग फिल्म साबित होगी.वही मुंबई आदि जगहों से पधारे कलाकारों ने कहा कि बिहार के लोग काफी मिलनसार होते हैं. अगर यहां की सरकारें शूटिंग में सब्सिडी देना शुरू करें तो बिहार के अलग-अलग हिस्सों में बड़े-बड़े फिल्मों की शूटिंग हो सकती है. शूटिंग के लिहाज से बिहार में भी बहुत सारे मनोरम स्थल मौजूद है.
कलाकारों ने कहा कि बरबीघा में पिछले दो दिनों में शूटिंग के दौरान उन्हें कभी भी असहजता महसूस नहीं हुई. दूसरी तरफ ललित झा ने कहा कि बिहार के सबसे लोकप्रिय भाषा भोजपुरी को कुछ कलाकारों द्वारा दुअर्थी भाषा का प्रयोग करके बेहद निम्न स्तर का बना दिया है.बिहार सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाकर भोजपुरी की गरिमा बचाने की दिशा में पहल करनी चाहिए.
गौरतलब हो कि दोनों ही फिल्मों के प्रोड्यूसर वीर प्रहरी के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर रविनंदन कुमार और समाजसेवी विकास कुमार वीर है.विकास कुमार जी ने बताया कि उन्हें भी सामाजिक मुद्दों पर फिल्म बनाना काफी अच्छा लगता है.अगर इसी तरह के सामाजिक मुद्दे पर कोई अच्छी स्क्रिप्ट मिलेगा तो वह हमेशा फ़िल्म बनाने के लिए आगे रहेंगे.