
Barbigha:-आप अपनी जिंदगी में भले ही कितनी दौलत जमा कर लो लेकिन अगर समय पर जरूरतमंदों की सेवा के काम नहीं आ सका फिर सारी संपत्ति बेकार है.धन का सदुपयोग न केवल अपने परिवार बल्कि समाज और संस्कृति के सुरक्षा के लिए किया जाना चाहिए. उक्त बातें निवर्तमान एसडीएम निशांत कुमार ने अपने विदाई समारोह में नगर क्षेत्र के श्री कृष्ण गौशाला परिसर में उपस्थित सैकड़ों लोगों के बीच कही.बताते चलें कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार पदाधिकारियों के स्थानांतरण में निशांत कुमार का तबादला पड़ोस के लखीसराय जिले में कर दिया गया है.

इसी तबादले के कारण गुरुवार की देर शाम श्री कृष्ण गौशाला समिति एवं बाबा नायक गौरक्षणी समिति के संयुक्त तत्वावधान में गौशाला परिसर में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया.समारोह में बीडीओ भरत सिंह सीईओ भुवनेश्वर प्रसाद यादव,अवकाश प्राप्त सिविल सर्जन डॉक्टर कृष्ण मुरारी प्रसाद सिंह अस्पताल के युवा चिकित्सक डॉ आनंद ,मवेशी अस्पताल के प्रभारी पदाधिकारी डॉक्टर अरुण डे, आदर्श विद्या भारती के प्राचार्य निर्देशक संजीव कुमार,वरिष्ठ जदयू नेता सुरेश प्रसाद सिंह, आदि ने अपने कार्यकाल में निशांत कुमार के द्वारा किए गए सामाजिक और प्रशासनिक कार्यों की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए उनके सुंदर स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की कामना की.


बताते चलें कि एसडीएम गौरक्षणी समिति के पदेन अध्यक्ष होते हैं.निशांत कुमार के कार्यकाल में ना केवल गौरक्षणी समिति को नया जीवन प्रदान किया गया बल्कि जर्जर भवन की मरम्मत के साथ-साथ नए भवन का निर्माण करते हुए गायों की संख्या में भी काफी वृद्धि की गई.गौशाला समिति के पदाधिकारियों में सचिव धर्मेंद्र सिंह, उपाध्यक्ष मनीष कुमार, कोषाध्यक्ष विजय वर्णवाल तथा बाबा नायक सेवा समिति के उमेश कुमार गुप्ता,रामसागर प्रसाद ,अमित कुमार डोकानिया, राजीव कुमार चुन्नू, कमलेश कुमार ,राजीव कुमार रजनू , आदि लोगों के द्वारा निशांत कुमार को पुष्पगुच्छ अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया गया.

वहीं कई सारे उपहार देकर भावभीनी विदाई भी दी गई.समारोह को गौशाला समिति के पूर्व सचिव शिवपूजन सहाय रामनिवास छाबड़िया एवं निस्वार्थ सेवा करने वाले रामअवतार साहू रणधीर चंद्र जी उर्फ गुरुजी के द्वारा संबोधित किया गया. स्वागत भाषण शंकर दयाल के द्वारा दिया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन विजय वर्णवाल के द्वारा किया गया.कार्यक्रम के अंत में गौशाला के दर्जनों गायों को गुड़ और चना खिलाया गया वहीं एक फलदार और छायादार वृक्ष के पौधे का रोपण किया गया.