Barbigha:राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को 48वीं पुण्यतिथि पर बरबीघा में श्रद्धापूर्वक याद किया गया. बरबीघा प्लस टू उच्च विद्यालय में स्थापित उनकी आदमकद प्रतिमा पर भाजपा की प्रदेश मंत्री डॉ पूनम शर्मा ने भी पहुंच कर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया.इससे पूर्व उनकी पुण्यतिथि पर कर्मभूमि में उनकी उपेक्षा पर भी जमकर बरसे.विद्यालय पहुंचते ही सबसे पहले उन्होंने माला मंगवाकर दिनकर जी की प्रतिमा की चारों ओर लगवाया और उसके बाद उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया.उन्होंने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर
बरबीघा प्लस टू उच्च विद्यालय के पहले प्रधानाध्यापक थे.लेकिन पुण्यतिथि पर उनके विद्यालय में स्थापित प्रतिमा को सजाया तक नहीं गया था.यही नहीं दोपहर तक एक भी समाजसेवी या राजनेता उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करने तक नहीं पहुंचे.विद्यालय के प्रधानाध्यापक के बाद डॉक्टर पूनम शर्मा पहले शख्स थे जो उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए पहुंची थी.ऐसे महान ओजस्वी और तेजस्वी व्यक्तित्व वाले कवि की उपेक्षा यह दर्शाता है कि लोग सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए ही उनके नामों का उपयोग करते हैं. हालांकि दोपहर के काफी देर बाद निवर्तमान सभापति को जब याद आया तो फिर वे भी माल्यार्पण करने के लिए पहुंचे. डॉ पूनम शर्मा ने विद्यालय के जर्जर भवनों को देखकर भी काफी दुख प्रकट किया.उन्होंने कहा कि महान विभूति रामधारी सिंह दिनकर की कर्मों की साक्षी रहा इस विद्यालय की हालत काफी खराब है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वे जल्द से जल्द विद्यालय के जीर्णोद्धार के लिए संबंधित विभाग के मंत्री से मिलेंगे. इसके अलावा उन्होंने बरसों से विद्यालय का नाम “रामधारी सिंह दिनकर उच्च विद्यालय” करने संबंधी मांगों पर भी आवाज उठाने की बात कही.गौरतलब हो की दिनकर जी की लेखनी वीर रस और क्रान्ति का अद्भुत मिश्रण होता था. उन्होंने भारत पर चीन के आक्रमण से आक्रोशित होकर सन् 1962 में कविता ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ लिखी थी. रामधारी सिंह “दिनकर” अहिंसा के पक्षधर थे लेकिन उनका मनना था कि समय के मुताबिक़ कुरुक्षेत्र भी गलत नहीं है. उनकी पैनी कलम की धार से अंग्रेज इतनी बुरी तरह भयभीत रहते थे कि उन्हें