एक परिवार की भांति मरीजों की सेवा करती है नर्स..सम्मान देने के लिए हर वर्ष मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस

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Barbigha:-बीमार रोगी के स्वास्थ्य के लिए एक डॉक्टर की भूमिका महत्वपूर्ण है.लेकिन हेल्थ सेक्टर में डॉक्टर के साथ ही नर्स भी अहम रोल निभाती हैं. सरकारी हो या निजी अस्पतालों में एक परिवार की तरह निस्वार्थ भाव से नर्स मरीजो की सेवा करती है.नर्स के इस सेवा भाव को सम्मान देने के लिए प्रत्येक वर्ष 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाने के पीछे नर्सों के हेल्थ केयर में योगदान को उजागर करना और उन्हें धन्यवाद देने के कारण निहित है.

स्वास्थ्य के क्षेत्र में नर्सों की भूमिका को लेकर बरबीघा रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर फैसल अरशद ने बताया कि कोरोना काल में डॉक्टर के साथ नर्स ने कदम से कदम मिलाकर कोरोना वॉरियर्स के रूप में इस महामारी से लड़ने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उस दौरान डॉक्टरों के साथ ही नर्सेस ने भी दिन रात लोगों की सेवा की.महामारी के दौरान कई मरीजों को अपनों ने छोड़ दिया लेकिन इन नर्सो ने अपनी जान पर खेलकर उसकी सेवा करके जीवन दान देने का काम किया था.सामान्य परिस्थितियों में भी जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में नर्सेज रीढ़ के रूप में कार्य करती है.
किसी भी बीमार व्यक्ति की सेवा नर्स जिस निष्ठा,आत्मसमर्पण भाव और सहजता से कहती है वैसी शायद परिवार भी ना करें.

मरीज को नकारात्मक सोच निकालकर उसे एक नया जीवन देने में नर्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.नर्सों को मरीजों की देखभाल के साथ कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन वह कभी भी अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटती है.अपने कार्यों को लेकर एएनएम आभा कुमारी,मुनमुन कुमारी सहित अन्य ने बताया कि परिवार को संभालने के साथ-साथ ड्यूटी के लिए समय पर पहुंचना एक बड़ी चुनौती होती है.

लेकिन सभी चीजों को मैनेज करते हुए अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी से निभाती है. ड्यूटी पर होने वाले परेशानियों को लेकर उन्होंने बताया कि जहां कार्य होगा वहां चुनौतियां आएंगी. तमाम परिस्थितियों से जूझ कर भी मरीजों की सेवा करना दिल को सुकून देता है. रेफरल अस्पताल बरबीघा के पुरुष नर्स कुणाल कुमार ने बताया कि पहले तो उसने मजबूरी में इस पेशे को चुना था. शुरुआत में मरीजों के घाव या खून को देखकर कार्य करने में घृणा होती थी. लेकिन जैसे जैसे लोगों की सेवा करने के बाद मन में सुकून मिलता गया कार्य के प्रति लगाव बढ़ता चला गया.

आज इस कार्य करते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि संसार का सबसे बड़ा पुण्य का कार्य यही है. उधर डॉक्टर फैसल अरशद ने बताया कि तमाम छोटे-बड़े स्वास्थ्य केंद्रों पर नर्सों की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाता है.उन्हें अस्पतालों में सकारात्मक माहौल दिया जाता है ताकि वे समर्पण भाव से मरीजों की सेवा कर सकते हैं. नर्सों की सेवा को लेकर डॉ आनंद कुमार, डॉ साकेत भारती, डॉ प्रियदर्शी, डॉ कुणाल सहित डॉक्टरों ने बताया कि हम लोग मरीजों का बहुत अच्छे तरीके से इलाज करते हैं. लेकिन वह इलाज तभी सार्थक होता है जब नर्सों के द्वारा मरीजों को बेहतर सेवा दिया जाता है. कुल मिलाकर कहें तो बिना नर्स के अस्पताल चलाना संभव ही नहीं नामुमकिन है.

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बरबीघा में ट्यूमर का इस हॉस्पिटल में हुआ सफल ऑपरेशन, ट्यूमर का वजन जानकार चौंक जाएंगे आप

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Sheikhpura: गांव में अक्सर ये सुनने को मिलता होगा. का हुआ…अरे क्या कहें बचवा को लगता है कोई बड़ा बीमारी हो गया है. बरबीघा में तो कुछ है नहीं पटना जाना पड़ेगा. इस तरह की बातें अक्सर लोग करते हैं और करे भी क्यों ना बेहतर इलाज के लिए अच्छे हॉस्पिटल तो जाना ही चाहिए लेकिन अब इस मिथ को धीरे धीरे बरबीघा का बालाजी मल्टी स्पेशलिस्ट अस्पताल तोड़ रहा है. हाल के दिनों में इस अस्पताल ने चौंकाने वाले रिजल्ट दिए हैं.

कल शाम की बात कर लें तो बालाजी हॉस्पिटल में मंगलवार को डॉक्टर की टीम ने ओवेरियन ट्यूमर का सफल ऑपरेशन किया. ट्यूमर का वजन 5 किलो से ज्यादा था. अस्पताल के संचालक डॉक्टर आनंद कुमार ने बताया कि साढ़े पांच किलो के ट्यूमर का आज सफलता पूर्वक ऑपरेशन किया गया. इस दौरान डॉ स्नेहा, डॉ मनीष नारायण,डॉ विजय कुमार के सहयोग से मरीज को एक नई जिंदगी मिली है.

पत्रकार से बातचीत के दौरान डॉ आनंद ने बताया कि हमारे यहां मरीज से काफी कम फीस लिया गया है. वहीं यदि ये मरीज पटना जाते तो शायद एक लाख से कम का खर्च नहीं आता. वहीं डॉक्टर स्नेहा ने बताया कि अब पुरानी वाली स्थिती नहीं है. अब छोटे कस्बों में भी अच्छे अच्छे डॉक्टर प्रैक्टिस कर रहे है. आपको बता दें कि बरबीघा में इससे पहले इस तरह के गंभीर ऑपरेशन नहीं किए गए थे.

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बरबीघा रेफरल अस्पताल में डॉक्टरों की मनमानी फिर हुई शुरू लेट आना दिनचर्या में हुआ शामिल

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Barbigha:-बरबीघा रेफरल अस्पताल में इन दिनों डॉक्टर की मनमानी फिर शुरू हो गई है. लेट आना डॉक्टर की दिनचर्या में शामिल हो चुका है. इसकी बानगी मंगलवार को सुबह ओपीडी में भी देखने को मिला.सुबह 8:00 बजे शुरू होने वाला ओपीडी मे 9:00 बजे तक भी शुरू नहीं हो पाया. दर्द से कराहती तीन बुजुर्ग महिलाएं

इस बात का जीता जागता प्रमाण अस्पताल में पाई गई.खेतलपुरा गांव से पहुंची 65 वर्षीय कौशल्या देवी अलीनगर गाँव की सबिता देवी सहित एक अन्य बुजुर्ग महिला ने बताया कि सुबह 8:00 बजे ही अस्पताल में दिखाने के लिए पहुंचे थे.लेकिन एक घंटे से अधिक समय तक इंतजार करने के बाद भी इन बुजुर्ग महिलाओं को

इलाज के लिए इंतजार करती बुजुर्ग महिलाएं

देखने सुनने वाला कोई नहीं था. सुबह में ड्यूटी डॉक्टर रवि रंजन कुमार और डॉक्टर अनमोल कुमार की लगाई गई थी.हालांकि 9:15 बजे के आसपास अनमोल कुमार पहुंचे और अपने दंत ओपीडी में जाने की बजाय सामान्य ओपीडी में पहुंचकर मरीज देखने लगे. जबकि कुछ दिन पहले दांत के डॉक्टर को सामान्य ओपीडी से रोस्टर में हटा दिया गया था. जानकारी के मुताबिक डॉ रवि रंजन कुमार का लेट आना उनकी सामान्य आदतों में शुमार हो चुका है.यही नहीं 24×7 अस्पताल में रहने का दावा करने वाले प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ फैसल अरशद भी

9:00 बजे के बाद भी खाली पड़ा ओपीडी

अस्पताल में कहीं नजर नहीं आए.सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वे सप्ताह में 3 से 4 दिन ही अस्पताल आते हैं.अपने अस्पताल के कैंपस में स्थित सरकारी आवास में रहने की बजाय प्रत्येक दिन घर चले जाते हैं.जिस अस्पताल का प्रभारी ही इतना लापरवाह हो वहां के डॉक्टरों की लापरवाही कोई बड़ी बात नहीं है.कुछ महीने पहले ही सभी एमबीबीएस डॉक्टर और एक दंत चिकित्सक अखिलेश कुमार को सरकारी अस्पताल में आवास अलॉटमेंट किया गया था. लेकिन एकाध  को छोड़कर प्रभारी सहित अधिकांश डॉक्टर अस्पताल कैंपस में नहीं रहते हैं.प्रत्येक दिन अपने निजी आवाज से आने जाने के कारण ओपीडी एक से डेढ़ घंटे लेट शुरू होता है.

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कोविड-19 टीकाकरण महा अभियान के दौरान 1100 सौ लोगों को लगा टीका..दलित बस्तियों में भी लोगों ने दिखाई हिस्सेदारी

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Barbigha:-बरबीघा प्रखंड के तेउस पंचायत के जयंती ग्राम मुसहरी में गुरुवार को कोविड-19 टीकाकरण अभियान में स्वास्थ्य कर्मियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.दरअसल दूसरे प्रदेशों से मजदूरी करके सैकड़ों की संख्या में वापस लौटे मजदूरों को कोविड-19 टीका दिया जाना था.इसको लेकर बरबीघा प्रखंड के मिर्जापुर,लालूनगर, पिंजड़ी, काशीबीघा सामस आदि गांव के महादलित टोला में स्वास्थ्य कर्मी सुबह-सुबह टीका देने के लिए पहुंचे.लेकिन पूर्व से चली आ रही भ्रांतियों के

कारण कई जगह लोगों ने टीका लेने से मना कर दिया.सबसे ज्यादा खराब स्थिति काशीबीघा गांव के महादलित टोला में देखने को मिला. जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य कर्मियों के साथ स्थानीय लोगों ने अभद्र व्यवहार भी किया.इसके बाद मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी भरत कुमार सिंह अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ फैसल अरसद और स्वास्थ्य प्रबंधक राजन कुमार गांव पहुंचे.पदाधिकारियों द्वारा काफी देर तक समझाने बुझाने के बाद कुछ लोग टीका लेने के लिए राजी हुए.इसके बाद देखा देखी अन्य लोगों ने भी कोविड-19 का टीका लेना शुरू कर दिया.स्वास्थ्य प्रबंधक राजन कुमार ने बताया कि पूरे प्रखंड में गुरुवार को ग्यारह सौ लोगों को कोविड-19 का टीका दिया गया. शुरुआत में लोगों के बीच जागरूकता की कमी दिखी लेकिन अधिकारियों के समझाने के बाद किसी प्रकार का कोई दिक्कत नहीं हुआ. गौरतलब हो कि इस तरह की परिस्थितियों का सामना स्वास्थ्य विभाग पहले भी कर चुका है. खासकर अशिक्षित और पिछड़े समाज में आज भी को भी 19 टीका को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां पूर्व की भांति व्याप्त है.जबकि कोविड-19 का टीका सभी लोगों के लिए बिल्कुल सुरक्षित है

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*गंगटी गांव में टिका लगने से बच्ची की मौत की उड़ी अफवाह..मेडिकल जांच के दौरान अन्य बच्चों की हालत पाई गई सामान्य*

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Barbigha:-बरबीघा नगर परिषद क्षेत्र के गंगटी गांव में नियमित टीकाकरण के बाद एक बच्ची की मौत की अफवाह उड़ा दी गई. दरअसल बुधवार को गांव में धर्मवीर यादव की दो वर्षीय बच्ची अनन्या कुमारी की पटना के एक निजी अस्पताल में मौत हो गई. बच्ची की शव जब घर लाया गया तब गांव में लोग कुछ दिन पूर्व आशा कर्मी द्वारा टीका देने के बाद तबीयत बिगड़ने और फिर मौत होने की

बात कह हंगामा करने लगे.दरअसल बच्ची को एक जुलाई को विभिन्न प्रकार के नियमित बीमारियों से बचाने का टीका आशा कर्मी द्वारा दिया गया था.टीका पड़ने के 2 दिन बाद बच्ची की तबीयत बिगड़ गई.बच्ची का इलाज ग्रामीण चिकित्सक से करवाने के बाद बिहारशरीफ के डॉ श्याम नारायण के पास ले जाया गया. स्थिति गंभीर होने पर उसे पटना रेफर किया गया जहां बुधवार की सुबह उसकी मौत हो गई.वही बच्ची की पिता ने गांव पहुंचकर टीका देने के बाद बच्ची की मौत की बात बताई तब अन्य नवजात के

रेफरल अस्पताल बरबीघा में बच्चे की जांच करते चिकित्सक

माता-पिता भी घबरा गए. कई अन्य लोगों ने भी टीका देने के बाद अपने अपने बच्चे की बीमार होने की बात कह हंगामा करने लगे.दरअसल टीका देने के बाद अन्य बच्चों को भी बुखार के साथ-साथ टीका वाले स्थान पर सूजन जैसा दिखाई पड़ रहा था.हालांकि जानकारी मिलने के बाद बरबीघा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ फैसल अरशद ने तत्परता दिखाई.गांव पहुंचकर अन्य तथाकथित बीमार बच्चों को इलाज के लिए रेफरल अस्पताल बरबीघा लाया.मौके पर सिविल सर्जन डॉ पृथ्वीराज और डीपीएम श्याम कुमार निर्मल भी बच्चों का हाल-चाल लेने के लिए अस्पताल पहुंचे.कई स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के जांच के बाद सभी बच्चों का स्वास्थ्य ठीक पाया गया जिसके बाद डॉक्टर के साथ-साथ परिजनों ने भी राहत की सांस ली.वहीं सिविल सर्जन ने बच्ची की मौत के बारे में जांच पड़ताल करने के बाद बताया कि वह अन्य बीमारी से भी ग्रसित थी. उसका इलाज शेखपुरा मुख्यालय स्थित एक आरएमपी डॉक्टर से चल रहा था.जांच के क्रम में मृतक बच्ची के दिमाग में इंफेक्शन की बात भी सामने आई है. उन्होंने बताया कि एक वाइल से कुल 5 बच्चों को टीका दिया गया था. अगर टीका देने के बाद कोई परेशानी होती तो सिर्फ एक बच्ची को नहीं बल्कि पांचो बच्चों को होती. चुकी बच्चे पहले से बीमार थी और टीका लगने के बाद थोड़ा बहुत बुखार आना स्वाभाविक बात है.इसलिए परिजनों को लगा कि टीका देने के कारण ही बच्ची की मौत हुई जो पूरी तरह से निराधार है. वह अस्पताल में इलाज के लिए लाए गए सभी बच्चों को उपचार के बाद घर भेज दिया गया.

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*शेखपुरा में लगाए गए मुफ्त चिकित्सा शिविर में सैकड़ों लोगों के विभिन्न प्रकार के रोगों की हुई जांच दूर-दूर से पहुंचे मरीज*

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Sheikhpura suraj:-शेखपुरा नगर परिषद क्षेत्र के पुलिस लाइन के ठीक सामने स्थित आधुनिक तकनीकों से लैस दिव्यांश हॉस्पिटल में बुधवार को लोगों के हित के लिए बड़े पैमाने पर मुफ्त चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया. मुफ्त चिकित्सा शिविर में शेखपुरा सदर प्रखंड के कई गांव के लोग विभिन्न प्रकार के रोगों के जांच के लिए दिव्यांश हॉस्पिटल पहुंचे.

जानकारी देते हुए डॉ राजेश कुमार ने बताया कि शिविर में ब्लड प्रेशर, शुगर सामान्य चेकअप महिला से संबंधित बीमारी, आंखों का जांच आदि का मुफ्त जांच किया गया. सुबह 11:00 बजे से लेकर संध्या 4:00 बजे तक चले जांच शिविर में सैकड़ों लोगों का जांच किया गया.जांच के उपरांत गंभीर मरीजों को ऑपरेशन जल्द से जल्द करवाने का सलाह भी दिया गया. गौरतलब हो कि अस्पताल कई वरिष्ठ चिकित्सकों को जैसे डॉ राजेश कुमार के अलावा डॉ नंद किशोर कुमार डॉक्टर रानी डॉ प्रतिभा कुमारी डॉ बादल डॉक्टर ऋतुराज कुमार डॉक्टर विक्रम कुमार आदि चिकित्सकों की देखरेख में संचालित हो रहा है. यही नहीं अस्पताल में अपेंडिक्स, हर्निया, हाइड्रोसील, बवासीर बच्चेदानी, पथरी, नॉर्मल डिलीवरी, सिजेरियन डिलीवरी, ओपन एवं लेप्रोस्कोपी विधि द्वारा ऑपरेशन आदि की सुविधा भी उपलब्ध है. अस्पताल में सामान्य ओपीडी के अलावा आईसीयू की सुविधा भी उपलब्ध रहती है. यही नहीं अस्पताल प्रत्येक रविवार को मरीजों को मुफ्त में देखता है. अस्पताल के संचालक डॉ राजेश कुमार ने बताया कि मुख्य चिकित्सा शिविर में अधिक से अधिक लोग पहुंच कर अपने बीमारियों का इलाज करवा सकते हैं

मुफ्त चिकित्सा शिविर में मरीज का जांच करते महिला डॉक्टर

उन्हें जांच उपरांत निशुल्क दवाई भी दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि जिले में उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाना हमारी अस्पताल की पहली प्राथमिकता है. यहां लोगों को न्यूनतम लागत पर बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराया जाता है.

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*बरबीघा रेफरल अस्पताल में कई तरह के ऑपरेशन हो रहा निशुल्क..सर्जन डॉ मनीष नारायण का मेहनत ला रहा रंग*

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Barbigha:-बरबीघा रेफरल अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक तथा सर्जन डॉक्टर मनीष नारायण इन दिनों बरबीघा के गरीब गर्भवती महिलाओं के लिए भगवान बने हुए हैं.अपने कर्तव्य निष्ठा के दम पर बेहद कम समय में वे बरबीघा के जाना पहचाना नाम बन चुके हैं. दरअसल मनीष नारायण द्वारा बरबीघा अस्पताल में गरीब गर्भवती महिलाओं का सफल सिजेरियन ऑपरेशन के जरिए

डिलीवरी करवाने का सिलसिला जारी है.इससे ना केवल क्षेत्र के गरीब महिलाओं को काफी सहूलियत मिल रही है. बुधवार को भी बरबीघा प्रखंड के तेउस गांव निवासी पुरुषोत्तम कुमार की पत्नी निधि कुमारी का डिलीवरी सफल सिजेरियन के द्वारा करवाया गया. दरअसल नॉर्मल डिलीवरी नहीं होने के कारण और पैसों की तंगी की वजह से परिवार काफी परेशान था.ऐसे में डॉक्टर मनीष नारायण ने तुरंत अस्पताल में कार्यरत वरिष्ठ चिकित्सक डॉ आनंद कुमार साकेत भारती सहित अन्य चिकित्सकों के साथ टीम गठित करके महिला का अस्पताल में ही सफल ऑपरेशन किया.इससे पूर्व अस्पताल के मैनेजर राजन कुमार ने मानवता का परिचय देते हुए महिला को एक यूनिट ब्लड भी डोनेट किया गया.दरअसल ऑपरेशन से पूर्व जांच में महिला के शरीर में खून की कमी पाई गई थी.जब कोई खून देने के लिए तैयार नहीं हुआ तब राजन कुमार ने खून देकर यह साबित कर दिया कि सेवा सर्वोपरि है. सफल ऑपरेशन के बाद एक सुंदर सी बच्ची का जन्म अस्पताल परिसर में हुआ.डॉ मनीष नारायण ने बताया कि ऑपरेशन के बाद जच्चा और बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है.बताते चलें कि डॉ मनीष नारायण बिहार शरीफ की प्रसिद्ध महिला चिकित्सक डॉक्टर ममता रानी के पुत्र हैं.सर्जरी के क्षेत्र में उन्हें गोल्ड मेडल भी मिल चुका है.अस्पताल के मैनेजर राजन कुमार ने बताया कि वर्ष 2020 में अस्पताल में योगदान देने के बाद से मनीष नारायण एक हज़ार से अधिक फैमिली प्लानिंग का भी सफल ऑपरेशन भी कर चुके हैं. इसके अलावा हर्निया हाइड्रोसील सहित एक दर्जन से अधिक कठिन सर्जरी भी रेफरल अस्पताल बरबीघा में उनके द्वारा निशुल्क किया गया है.

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*बुधवार को शेखपुरा के इस बड़े अस्पताल के द्वारा लगाया जाएगा मुफ्त चिकित्सा शिविर कई प्रकार की बीमारियों की होगी जांच*

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Sheikhpura suraj:-शेखपुरा नगर परिषद क्षेत्र के पुलिस लाइन के ठीक सामने स्थित आधुनिक तकनीकों से लैस दिव्यांश हॉस्पिटल के द्वारा बुधवार को लोगों के हित के लिए बड़े पैमाने पर मुफ्त चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जाएगा. 24 घंटे इमरजेंसी सुविधा प्रदान करने वाला जिले का यह अस्पताल अपने अस्पताल कैंपस में ही मुफ्त चिकित्सा शिविर का आयोजन करेगा.

जानकारी देते हुए डॉ राजेश कुमार ने बताया कि शिविर में ब्लड प्रेशर, शुगर सामान्य चेकअप महिला से संबंधित बीमारी आदि का मुफ्त जांच किया जाएगा. सुबह 11:00 बजे से जांच शिविर शुरू होगा जो देर संध्या 4:00 बजे तक चलता रहेगा. गौरतलब हो कि अस्पताल कई वरिष्ठ चिकित्सकों को जैसे डॉ राजेश कुमार के अलावा डॉ नंद किशोर कुमार डॉक्टर रानी डॉ प्रतिभा कुमारी डॉ बादल डॉक्टर ऋतुराज कुमार डॉक्टर विक्रम कुमार आदि चिकित्सकों की देखरेख में संचालित हो रहा है. यही नहीं अस्पताल में अपेंडिक्स, हर्निया, हाइड्रोसील, बवासीर बच्चेदानी, पथरी, नॉर्मल डिलीवरी, सिजेरियन डिलीवरी, ओपन एवं लेप्रोस्कोपी विधि द्वारा ऑपरेशन आदि की सुविधा भी उपलब्ध है. अस्पताल में सामान्य ओपीडी के अलावा आईसीयू की सुविधा भी उपलब्ध रहती है. यही नहीं अस्पताल प्रत्येक रविवार को मरीजों को मुफ्त में देखता है. अस्पताल के संचालक डॉ राजेश कुमार ने बताया कि मुख्य चिकित्सा शिविर में अधिक से अधिक लोग पहुंच कर अपने बीमारियों का इलाज करवा सकते हैं उन्हें जांच उपरांत निशुल्क दवाई भी दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि जिले में उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाना हमारी अस्पताल की पहली प्राथमिकता है. यहां लोगों को न्यूनतम लागत पर बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराया जाता है.

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*बरबीघा पहुंचे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बरबीघा अस्पताल का किया निरीक्षण*

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Barbigha:-इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा बिहार के प्रख्यात सर्जन सहजानंद सिंह सोमवार को अचानक बरबीघा रेफरल अस्पताल पहुंच गए.इस दौरान उनके द्वारा अस्पताल का निरीक्षण भी किया गया.इसके बाद अस्पताल के कर्मियों के साथ बैठकर व्यवस्था पर काफी देर तक चर्चा भी किया.

मीडिया कर्मियों से मुखातिब होते हुए उन्होंने अस्पताल में और बेहतर सुविधाओं के लिए स्वास्थ्य मंत्री से बात करने की बात भी कही.अस्पताल में वार्ड बॉय,ड्रेसर सहित अन्य स्टाफ की कमी के सवाल पर उन्होंने कहा कि जल्द ही अस्पताल की कमियों को लेकर स्वास्थ्य मंत्री से बातचीत करके अस्पताल को सारी चीजें मुहैया करवाने का प्रयास किया जाएगा.इसके बाद उन्होंने कहा कि चुकी बरबीघा में उनका विद्यार्थी जीवन बिता है.इसलिए यहां से तथा यहां के लोगों से उन्हें खासा लगाव रहता है. इस मौके पर वरिष्ठ चिकित्सक डॉ आनंद कुमार समाजसेवी चिंटू कुमार सिंह सुनील सिंह स्वास्थ्य कर्मी राजू कुमार संदीप भारती सहित अन्य उपस्थित रहे.इस दौरान उन्होंने डॉ आनंद कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि युवा डॉक्टर होने के साथ-साथ बहुत कर्मठ और अपने कार्य के प्रति बेहद जवाबदेह इंसान भी है.अस्पताल कैंपस में 24 घंटे रह कर मरीजों की सेवा करने वाले बहुत कम डॉक्टर देखने को मिलते हैं. आज बरबीघा में स्वास्थ्य व्यवस्था का दूसरे जिले के लोग भी कायल है, तो उसका सीधा सीधा श्रेय ऐसे डॉक्टरों को ही जाता है. उन्होंने अन्य चिकित्सकों से भी स्वास्थ्य व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए अपना शत-प्रतिशत देने का निर्देश दिया.

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दोस्त ने शादी के बाद वियाग्रा खाने की दी सलाह, ओवरडोज के बाद बढ़ी परेशानी, डॉक्टर ने कहा- प्राइवेट पार्ट का तनाव नहीं होगा कम, लंगोट बांधो जीवनभर

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Desk: यूपी के प्रयागराज में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. दरअसल एक शख्स ने ज्यादा आनंद पाने के लिए अपनी ज़िंदगी को ही खतरे में डाल दिया. 28 साल के युवक ने शादी के कुछ दिनों बाद ही वियाग्रा की ओवरडोज ले ली, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. दरअसल यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब तीन महीने पहले हुई शादी के बाद युवक के दोस्तों ने उसकी मर्दानगी को ललकारा और सेक्स पावर बढ़ाने के लिए दवा लेने की सलाह दे दी.

दोस्तों की सलाह पर युवक ने 25-30 मिलीग्राम वियाग्रा खाना शुरू कर दिया, लेकिन उसे ऐसा लग रहा था की उसे संतुष्टि नहीं मिल रही है. इसपर दोस्तों ने डोज़ बढ़ाने की सलाह दे दी और पीड़ित युवक ने इसके बाद 200 मिलीग्राम वियाग्रा खा लिया. इसके बाद उसकी हालत खराब हो गई. लड़के के प्राइवेट पार्ट में ऐसा तनाव हुआ जो 20 दिन बाद भी खत्म नहीं हुआ. युवक से परेशान उसकी दुल्हन अपने मायके चली गई. किसी तरह मायके वालों ने मना कर लड़की को वापस ससुराल भेजा लेकिन बात नहीं बनी. युवक को अस्पताल में भर्ती कराकर महिला वहां से चली गई.

डॉक्टरों ने ऑपरेशन के बाद लड़के की स्थिति सामान्य तो कर दी लेकिन साथ ही यह भी साफ कर दिया कि एक समस्या अब आजीवन उसके साथ बनी रहेगी. उसे बताया गया कि वो संतान तो पैदा कर सकता है लेकिन उसके प्राइवेट पार्ट का तनाव अब खत्म नहीं होगा. लिहाजा उसे पब्लिक प्लेस पर जाने के लिए लंगोट या फिर किसी टाइट कपड़े को पहने की सलाह दी जाने लगी. हालांकि संगम नगरी प्रयागराज के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और दुर्लभ पेनाइल प्रोस्थेसिस ऑपरेशन कर उसकी सभी समस्याओं को दूर कर दिया.

 

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